बॉर्डर के गांव बुरहान का तला में दबंगों से परेशान दलित परिवार की महिलाएं व बुजुर्ग कलेक्टर को फरियाद सुनाने कलेक्ट्रेट पहुंचे। ऑफिस में कलेक्टर नहीं होने पर वहीं बुजुर्ग, महिला व युवा धरने पर बैठ गए। कुछ देर बाद कलेक्टर आने के बाद फरियाद को सुना। महिलाओं व बुजुर्गों का कहना है कि हमारे आने-जाने का रास्ता दबंगों ने बंद कर दिया। हमारा घर से निकलना मुश्किल हो गया है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे है। कलेक्टर ने कहा कि खातेदारी जमीन है पहले रास्ता खुला लेकिन अब बंद कर दिया था। कल एसडीएम को कहकर खुलवा दिया था, लेकिन वापस बंद किया है तो उन लोगों को पाबंद करेंगे और जरूरत पड़ी तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, बुरहान का तला गांव के 15 घरों की आबादी के लिए आने-जाने वाला लंबे समय से चल रहा था। बीते एक माह पहले खातेदारी जमीन बताते हुए रास्ता बंद कर दिया। अब इन घरों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। बच्चों को स्कूल तक जाने के लिए रास्ता नहीं है। तंग व परेशान होकर करीब 15 घरों के करीब 20-25 बुजुर्ग व व महिलाएं कलेक्ट्रेट परिसर में धरने पर बैठ गए। बुरहान का तला निवासी जमू का कहना है कि हमारे घरों को जाने वाला रास्ता बीते कुछ माह से बंद कर दिया। इससे घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। इससे बच्चे स्कूल भी नहीं जा पा रहे है।
दलित एकता मंच के संयोजक उदाराम मेघवाल ने कहा कि इन परिवारों की जमीन पर कब्जा कर रखा है। जब इसका मुकदमा थाने में दर्ज करवाया तो मुकदमा वापस लेने के लिए दबाव बना रहे है। लंबे समय से चल रहा रास्ता बंद कर दिया है। इससे डिलीवरी सहित अन्य अस्पताल के काम मे जाने में भारी समस्या का सामना उठाना पड़ रहा है। वहीं बच्चे स्कूल भी नहीं जा पा रहे है।
जिला कलेक्टर लोकबंधु ने कहा कि बुरहान का तला से कुछ लोग आए तो उन्होंने बताया कि पहले रास्ता चल रहा था। जिसको बंद कर दिया है। इससे एसडीएम से पता किया तो बताया कि खातेदारी जमीन में रास्ता है। फिर भी चालू रास्ते को बंद नहीं किया जा सकता है। कल रास्ता खुलवाया था लेकिन इनका कहना है कि आज फिर से बंद कर दिया था। एसडीएम को बोल दिया रास्ता खुलवाया जाए। रास्ता बंद करने वाले लोगों को लिखित में पाबंद भी करें। नियमानुसार रास्ते को दर्ज करने की प्रक्रिया भी करें।
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