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कृषि विज्ञान केन्द्र गुड़ामालानी द्वारा नारी परियोजना के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रम धांधलावास गांव में आयोजित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डाॅ. प्रदीप पगारिया ने बताया कि कृषि जनगणना के अनुसार 73.2 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं कृषि गतिविधियों में शामिल है, लेकिन महिलाओं को किसान के रूप में आज भी पूरी तरह मान्यता नहीं मिल पा रही है। भारत में 48 प्रतिशत कृषि से संबंधित रोजगार में महिलाएं शामिल है, जबकि करीब 7.5 करोड़ महिलाएं दुग्ध व पशुपालन गतिविधियों में शामिल है।
आंकड़ों के मुताबिक कृषि उत्पादन में महिलाओं का योगदान 20-30 प्रतिशत है। यदि कृषि में महिलाओं को बराबर का दर्जा मिले तो उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो सकती हैं। यही वजह है कि महिलाओं को कृषि के प्रति जागरूक करने और महिलाओं को कृषि क्षेत्र में सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए केन्द्र द्वारा प्रशिक्षण, प्रदर्शन एवं प्रसार गतिविधियों द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा हैं।
केन्द्र के डाॅ. बाबूलाल जाट ने बताया कि महिलाओं के प्रत्यक्ष योगदान एवं सक्रिय भागीदारी के परिणामस्वरूप भारत अनेक प्रकार के फल, सब्जी और अनाज के मामले में महत्त्वपूर्ण उत्पादक देेश बन गया है। पशुपालन, मछली पालन, चटनी, अचार, मुरब्बे यानि की खाद्य परिक्षण, हथकरघा दस्तकारी जैसे कामों में ग्रामीण महिलाएं पीछे नहीं हैं।
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