बाड़मेर शहर के आसपास की 30 से ज्यादा कॉलोनियों को नगर परिषद में शामिल किए जाने की सालों से मांग उठ रही है, लेकिन राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के चलते इन कॉलोनियों को नगर परिषद में शामिल नहीं किया जा रहा है। इन कॉलोनियों में बसी आबादी किस तरह से नरकीय जीवन जी रही है, इसको लेकर दैनिक भास्कर टीम ने शुक्रवार को ग्राउंड पर जाकर पड़ताल की। इस दौरान चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई। 30 साल पहले इस कॉलोनी में बसे लोगों को नगर परिषद से पट्टे मिल गए थे, लेकिन इन लोगों के पास घर के गंदे पानी की निकासी के लिए नाली तक नहीं है।
बबूल से अटी गलियां, सड़क पर जगह-जगह इकट्ठा गंदा पानी तालाब ले चुका है। न सड़क और न ही रोड लाइट, हाल ये है कि सबसे ज्यादा परेशानी गंदे पानी निकासी को लेकर हो रही है। एक घर का गंदा पानी नाली नहीं होने से दूसरे घर के आगे चला जाता है। ऐसे में मोहल्ले की महिलाओं के बीच रोज झगड़ा होता है। चलते हुए वाहन के दौरान गंदा पानी लोगों के घरों में उछलता है। बलदेव नगर, राजीव नगर, भूरटिया रोड, उत्तरलाई रोड, विष्णु कॉलोनी, राम नगर, जाट कॉलोनी सहित कई इलाकों में ऐसे ही हालात है।
सीएम ने बजट में घोषणा की, पैरवी करें तो सीमा विस्तार हो: 60 हजार से ज्यादा शहर से सटी आबादी को नगर परिषद में शामिल किए जाने के लिए कोई सीएम अशोक गहलोत ने इसी साल बजट में घोषणा भी की है। जिन शहरों में घनी आबादी बसी हुई है, उन्हें शामिल किया जाए, लेकिन इसके लिए इच्छाशक्ति की जरूरत है। अगर स्थानीय स्तर के जनप्रतिनिधि ढंग से पैरवी कर सरकार तक पहुंचाएं तो यह काम आसानी से हो सकता है। मुख्यमंत्री स्वयं हर माह बजट घोषणाओं की मॉनिटरिंग कर रहे है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर सरकार तक भेजने की आवश्यकता है।
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