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तहसील के गांव अगावली स्थित पहाड़ पर हो रहे खनन के खिलाफ ग्रामीण लामबंद होने लगे हैं। पहाड़ पर स्थित शिवालिक सिलिका क्रेशर प्लांट द्वारा किए जा रहे खनन से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खनन कार्य बंद कराने की मांग को लेकर बुधवार को ग्रामीणों ने एसडीएम कार्यालय परिसर में नारेबाजी प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव सुरेंद्र सिंह कसाना व प्रेमसिंह के नेतृत्व में एसडीएम कार्यालय पहुंचे अगावली गांव के ग्रामीणों ने प्रदर्शन करते हुए बताया कि पहाड़ पर स्थित क्रशर संचालक की ओर से चारागाह जमीन में अवैध रूप से खनन कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहले गांव के पशु पहाड़ पर चरने जाते थे। लेकिन चारागाह में खनन कार्य के चलते पशु पहाड़ पर चरने नहीं जा पा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पहाड़ पर खनन के लिए बड़े पैमाने पर ब्लास्टिंग की जाती है। ब्लास्टिंग के दौरान पत्थरों के बड़े-बड़े टुकड़े टूटकर पहाड़ की तलहटी में बसे गांव के घरों में गिरते हैं।
वहीं प्लांट के पास ही बच्चों के खेलने का मैदान है। ऐसे में पहाड़ से पत्थर टूटने से लोगों के चोटिल होने का डर बना रहता है। ब्लास्टिंग से गांव के कई घरों की दीवारों में दरारें भी आ गई हैं। इससे मकानों के गिरने का हरदम डर बना रहता है। प्लांट से उड़ने वाली डस्ट के कारण गांव में सिलिकोसिस जैसी गंभीर बीमारी पनप रही है। खनन कार्य के दौरान कई बार हादसे भी हो चुके हैं। ग्रामीणों ने बताया कि खनन कार्य से अब तक करीब 20 लोग अकाल मौत का शिकार हो चुके हैं। इसके अलावा क्रेशर संचालक द्वारा बारिश के पानी को भी रोक दिया गया है।
इससे गांव में बनी पोखर में पानी नहीं आ पाता है। जिससे पशुओं के सामने पेयजल की समस्या रहती है। वहीं प्लांट पर बजरी व सिलिका लेने के लिए बड़ी संख्या में ट्रक, ट्रेलर व अन्य भारी वाहन आते हैं। जिनके ओवरलोड माल भरकर ले जाने के कारण गांव के रास्ते क्षतिग्रस्त हो चुके हैं तथा वाहनों के जमावड़े से गांव के रास्तों पर जाम की स्थिति बनी रहती है। हालत यह है कि ग्रामीणों के दुपहिया वाहन भी प्लांट के मालवाहक वाहनों के आड़े-तिरछे खड़े होने से नहीं निकल पाते हैं।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि प्लांट पर कार्यरत कर्मचारी व माल लेने आने वाले वाहनों के चालक-खलासी गांव की महिलाओं व बहन- बेटियों से भी छेड़छाड़ करते हैं। इससे गांव का माहौल खराब हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि खनन कार्य व ब्लास्टिंग से पहाड़ पर रहने वाले जीव-जंतु पूरी तरह से खत्म हो गए हैं। पूर्व में पहाड़ पर काफी संख्या में राष्ट्रीय पक्षी मोर प्रवास करते थे। लेकिन खनन कार्य शुरू होने के बाद से पहाड़ पर मोरों का अस्तित्व खत्म हो गया है। इस अवसर पर ग्रामीण लाखन सिंह, भूरी सिंह, बृजेंद्र, दिनेश, महेंद्र सिंह, देवी सिंह, रामवीर, सोनू आदि दर्जनों लोग मौजूद थे।
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