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आदिबद्री पर्वतीय क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन के विरोध में अनिश्चितकालीन धरने के साथ साधु संतों के साथ ग्रामीणों की धार्मिक पर्वत आदिबद्री की परिक्रमा यात्रा का शनिवार को समापन हो गया। परिक्रमा में ग्रामीणों व साधु संतों के साथ बडी संख्या में ब्रज गोपिकाओं ने भाग लिया। शनिवार को परिक्रमा के धरनास्थल पंसोपा पंहुचे पर साधु संतों और ग्रामीणों ने 2 फरवरी से प्रशासन के खिलाफ आंदोलन को उग्र करने की चेतावनी देने के साथ जमकर नारेबाजी की। साधु संतों के साथ ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिए जाने के साथ ऐलान किया कि ब्रज के पर्वतों पर अब खनन किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साथ ही खनन में लिप्त लोगों का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा। धरने के दौरान ककराला के जलाल खान फौजी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण सभी के प्रेरणा पुरुष हैं। आदिबद्री पर्वत हमारी सांकृतिक, सामाजिक एवं साम्प्रदायिक एकता का प्रतीक है। इसकी रक्षा से ही हमारे जीवन व पर्यावरण कि सुरक्षा हो सकती है। मानमंदिर के अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि खनन विभाग के अधिकारियों ने सरकार को गुमराह कर रखा है कि खनन बंद होने से करोड़ों का नुकसान होगा व कई हजार रोजगार समाप्त हो जाएंगे। लेकिन वास्तविकता विपरीत है। क्षेत्र का कोई भी ग्रामीण नहीं चाहता कि इन दिव्य पर्वतों पर किसी भी प्रकार का खनन हो।
यह सब सरकार को भ्रमित करने का षड्यंत्र है। सरकार व प्रशासन कुछ खनन माफियों को लाभ पहुंचाने के कारण हर समाज के आस्था के प्रतीक व पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण इन पर्वतों को तुड़वा रहा है। धरने को आज 15 दिन होने पर भी सरकार व प्रशासन की ओर से कोई भी प्रतिनिधि बात करने तक नहीं आया है। पूर्व विधायक गोपी गुर्जर ने कहा कि अब तय हो गया है कि हमारी संस्कृति व पर्यावरण को बचाने के लिए आर पार की लड़ाई ही लड़नी होगी। प्रशासन को सीधी बात समझ में नहीं आ रही है। हमारी सांस्कृतिक धरोहरों को लूटा जा रहा है। अब हमें करो या मरो की रणनीति अपनानी पड़ेगी।
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