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तीथर्राज मचकुंड, जिसे कृष्णा सर्किट से जाेड़ने की मांग उठाई जा रही है। ऐसे में भास्कर पहली बार अपने पाठकाें के लिए मचकुंड सराेवर की वो तस्वीर दिखा रहा है, जब 200 साल पहले स्टेट टाइम में मचकुंड में भगवान नृसिंह विहार के लिए आते थे। करीब 200 साल पुराना ये चित्र मचकुंड के रानी गुरु मंदिर के पीछे सराेवर के घाट का है, जहां नृसिंह विहार के अागमन पर धाैलपुर की जनता जमा थी।
भास्कर काे ये दुर्लभ फाेटाे नृसिंह मंदिर के पुजारी डाॅ. रविंद्र श्राेत्रिय ने उपलब्ध कराया है। धाैलपुर के महाराज भगवान नृसिंह काे ही महाराज मानते थे और विशेष कार में नृसिंह भगवान ही मचकुंड विहार के लिए आते थे, अन्य किसी काे इस कार में बैठने की इजाजत नहीं थी।
इसी बीच कृष्णा सर्किट में सभी तीर्थो के भांजे तीर्थराज मचकुंड को जोड़ने मांग भी की जा रही है। धार्मिक पर्यटन के ताैर पर देश में रामायण सर्किट, बाैद्ध सर्किट और कृष्णा सर्किट बन रहे हैं, जिसमें कृष्णा सर्किट में मचकुंड को जोड़ने की पुरजोर आवाज धाैलपुर के लाेगाें द्वारा उठाई जा रही है।
श्रीकृष्ण काे धाैलपुर से ही मिला था रणछाेड़ नाम
तीर्थराज मचकुंड सरोवर में पुष्कर को छोड़ सभी तीर्थ यहां आए हैं। इस पवित्र धाम की जहां भगवान श्री कृष्ण ने मचकुंड महाराज के द्वारा राक्षस कालयवन का वध कराया था। धौलपुर मचकुंड नगरी से ही भगवान को रणछोड़ और छलिया नाम मिला। श्री कृष्ण जब मथुरा से रण को छोड़कर आए तो पीछे राक्षस कालयवन आया, तब भगवान ने छल से कालयवन का मचकुंड महाराज द्वारा वध कराया, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण को पता था कि मचकुंड महाराज को वरदान था कि कोई तुम्हे निद्रा से जगाएगा वो भस्म हो जाएगा, इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा से भागकर मोनी सिद्ध गुफा मे सो रहे मचकुंड महाराज को अपनी पीताम्बरी ओढ़ा दी और कालयवन ने सोचा श्री कृष्ण सोए है, पीताम्बरी हटाते ही कालयवन भस्म हो गया।
भगवान ने मचकुंड द्वारा यज्ञ भी देखा था
मचकुंड महाराज ने राक्षस कालयवन को मारने के बाद यज्ञ किया था जिसे भगवान श्री कृष्ण ने बैठकर देखा भी था। पहले मचकुंड महाराज द्वारा कराया गया यह यज्ञ कुंड ही था। बाद में राजा महाराजाओं ने इसे सरोवर का रूप दिया और घाट बनवाकर सरोवर के चारों ओर 108 मंदिरों का निर्माण कराया जहां आज लोग सरोवर की परिक्रमा करने के लिए हरियाणा, मध्य प्रदेश राजस्थान सहित देश भर के अन्य प्रांतों से पहुंचते हैं। पर्यटन की दृष्टि से भी यह काफी लोकप्रिय है। अगर मचकुंड कृष्णा सर्किट से जुड़ता है तो यहां पर्यटन व्यवसाय की अपार संभावना है।
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