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सरकारी सिस्टम में अफसर कैसे काम करते हैं इसकी एक और बानगी देखने को मिली है। भरतपुर में सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) का एक बेलदार साढ़े सात साल तक ड्यूटी पर ही नहीं आया। अफसरों ने भी उसकी कोई सुध नहीं ली। इतनी लंबी गैर हाजिरी के लिए न तो कभी उसे नोटिस दिया गया और न ही सस्पेंड किया गया। लेकिन, मरने के 10 महीने बाद उसे सीधे बर्खास्त कर दिया गया।
इसके लिए भी अफसरों की नींद तब टूटी, जब मृतक बेलदार की पत्नी ने अनुकंपा नियुक्ति मांग ली। बात यहीं खत्म नहीं हुई, इस मामले में कोर्ट के आदेश दे बावजूद विधवा को पेंशन और बेटे को नौकरी नहीं देने के कारण विभागीय दफ्तर तक कुर्क करवा लिया। भास्कर संवाददाता ने जब पूरे मामले की पड़ताल की तो पता चला कि मृतक वीरेंद्र सिंह मई 1996 में पीडब्ल्यूडी में बेलदार लगा था। इसके बाद मई, 2017 में उसकी मौत हो गई।
उसकी पत्नी मिथलेश ने अपने लिए पेंशन और बेटे हेमेंद्र ने अनुकंपा नियुक्त मांगते हुए विभाग में आवेदन किया। विभाग ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि कर्मचारी वीरेंद्र ने अक्टूबर, 2010 में ही नौकरी पर आना बंद कर दिया था। इस पर सीनियर एडवोकेट श्रीनाथ शर्मा ने 21 दिसंबर, 2017 को विभागीय अफसरों को लीगल नोटिस भी भेजा। इसके बाद एक्सईएन अमरचंद मीणा ने कर्मचारी वीरेंद्र की मौत के 10 महीने बाद मार्च, 2018 में सेवा समाप्ति का आदेश निकाल दिया।
दो साल लगाए कोर्ट के चक्कर
वीरेंद्र की पत्नी ने आदेश को कोर्ट में चुनौती दी। दो साल तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट का मानना था कि साढ़े सात साल तक अफसरों ने बेलदार खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की। नियमानुसार कर्मचारी को जब तक कार्यवाही में सुनवाई का अवसर देकर सेवा से न निकाला जाए तब तक ना तो उसका त्याग पत्र माना जा सकता है। विभाग मृतक की पत्नी को पेंशन और बेटे को नियुक्त दे।
सीधी बात अमरचंद मीणा, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी, भरतपुर
बर्खास्त नहीं करते तो बेलदार नौकरी में बना रहता : मीणा
सवालः आपने कोर्ट आदेश का पालन क्यों नहीं किया। ऑफिस कुर्क हो गया?
जवाबः पेंशन, अनुकंपा नियुक्ति मामले में सरकार अपील में जा रही थी। इससे कोर्ट आदेश का पालन नहीं हो पाया।
सवालः आपको बेलदार वीरेंद्र की गैरहाजिरी का कब पता चला?
जवाबः उसकी मौत के 8 महीने बाद परिजन जब सेवा लाभ के लिए आए। सवालः क्या कर्मचारी के मरने के 10 महीने बाद बर्खास्तगी का आदेश निकल सकता है?
जवाबः अगर, ऐसा नहीं करते तो उसकी सेवाएं बनी रहतीं। सेवारत कर्मचारी के निधन पर भी तो पेपर प्रोसेस होते हैं। इसमें सब डिवीजन स्तर पर लापरवाही रही है।
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