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भरतपुर की संजय नगर कालोनी में गुरुवार को एक कौआ मृत पाए जाने के बाद सनसनी फैल गई। जिसका पशुपालन विभाग के चिकित्सकों ने वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया। उसका सैंपल नहीं भेजा गया है। संयुक्त निदेशक डॉ. नगेश चौधरी ने बताया कि नेशनल ऐक्शन प्लान फॉर कन्ट्रोल/ कंटोनमेंट ऑफ एवियन इन्फ्लूएंजा के अनुसार कम से कम 5 पक्षियों के सैम्पल भोपाल भेजे जाते हैं। चूंकि जिले में कहीं भी मास मोर्टेलिटी नहीं है इसलिए अभी सैम्पल भोपाल नहीं भेजा गया है किंतु हमने निगरानी बढ़ा दी है।
विशेषकर केवलादेव राष्ट्रीय घना पक्षी विहार, नौनेरा कामां एवं बंध बारेठा बयाना जलाशयों से पक्षियों के बीट सैम्पल एकत्रित कर राज्य रोग निदान केन्द्र जयपुर भिजवाए जा रहे हैं क्योंकि यहां माइग्रेटरी बर्ड खासकर वारहेडेड गूज विशेष तौर से आते हैं और इन्हें बर्ड फ्लू का संवाहक माना जाता है।
इधर मृत मिले कौवे को गड्ढे में कैल्शियम हाइड्रोआक्साइड डालकर दफना दिया है। बर्ड फ्लू को लेकर प्रशासन गंभीर है। जिला कलक्टर नथमल डिडेल की अध्यक्षता में गुरुवार को एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस संक्रमण की रोकथाम एवं मानिटरिंग बैठक हुई जिसमें डिप्टी सीएमएचओ डा. असित श्रीवास्तव को 250 पीपीई किट मुख्यालय तथा 25-25 पीपीई किट प्रत्येक तहसील स्तरीय पशुचिकित्सा अधिकारियों के लिए तथा 50 पीपीई किट वन विभाग को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए।
क्षेत्रीय रोग निदान केन्द्र के उपनिदेशक डा. देशपाल सिंह ने बर्ड फ्लू एक्शन प्लान के बारे में बताया। बैठक में पशुपालन के अतिरिक्त निदेशक डा. भागीरथ लाल मीना, उपवन संरक्षक (वन्य जीव) मोहित गुप्ता, नगर निगम आयुक्त डा. राजेश गोयल, पशुधन सहायक पशुपालन विभाग राजेन्द्र सिंह आदि मौजूद थे।
पीक सीजन में चिकन कारोबार पर संकट, 20 प्रतिशत प्रभावित
इधर, बर्ड फ्लू के कारण चिकन कारोबार पर असर आया है चूंकि यह पीक सीजन है। इसलिए कारोबारी, विशेषकर पोल्ट्री फार्म संचालक चिंतित हैं। कारोबारियों का कहना है कि 20 प्रतिशत तक सेल प्रभावित हुई है।
कारोबारी रशीद ने बताया कि कोरोनाकाल में सुस्ती के बाद अब मौसम ठंडा होने के बाद कुछ बिग्री बढ़ी थी, लेकिन जब से बर्ड फ्लू का हल्ला हो रहा है तब से चिकन की डिमांड धीरे-धीरे से कम हो रही है। तीन-चार दिन में ही करीब 20 प्रतिशत सेल कम हुई है।
उल्लेखनीय है कि जिले में 95 पोल्ट्री फार्म संचालित है, जिनमें लगभग 3 लाख 35 हजार मुर्गियां हैं। इनमें तीन को छोड़ बाकी सब ब्रायलर हैं। जिले की कामां, पहाड़ी एवं नगर तहसीलों में सबसे अधिक पोल्ट्री फार्म संचालित हैं। इधर, पशुपालन विभाग के पोल्ट्री फार्मों के संचालकों से सतत संपर्क में हैं। तहसील मुख्यालय एवं नगर निगम क्षेत्र सहित 14 रैपिड रेस्पॉन्स टीम का गठन किया है।
(रिपोर्ट: प्रमोद कल्याण)
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