निकटवर्ती गांव नयावास निवासी बीएसएफ जवान विजेंद्र सिंह को 30 साल बाद अब शहीद का दर्जा मिला है। वे जम्मू कश्मीर में वर्ष 1992 में हुए एक आतंकी हमले में मारे गए थे। मंगलवार को बीएसएफ यूनिट मथुरा के डिप्टी कमांडेंट मनोज कुमार ने नयावास पहुंचकर शहीद की पत्नी वीरांगना इंद्रादेवी को शहीद सम्मान पत्र सौंपा। इस दौरान उन्होंने विजेंद्र सिंह की पारिवारिक स्थिति की जानकारी ली। वीरांगना को हर संभव मदद करने का भरोसा दिलाया। साथ ही उन्हें शहीद प्रमाण पत्र से मिलने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी दी।
डिप्टी कमांडेंट मनोज कुमार ने बताया कि विजेंद्र सिंह बीएसएफ की 153वीं वाहिनी में कार्यरत थे। चूंकि पहले अर्द्ध सैनिक बलों के जवानों को शहीद का दर्जा नहीं मिलता था। लेकिन, अब एक साल से अर्द्ध सैनिक बलों को भी शहीद का दर्जा मिलना शुरू हो गया है। इसलिए, विजेंद्र सिंह के मामले में भी देरी हुई। इधर, शहीद सम्मान पत्र पाकर वीरांगना के आंखों से आंसू निकल पड़े।
वीरांगना ने बताया कि उसके पति ने दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहादत दी थी। उसे पति की शहादत पर गर्व है। इस मौके पर बीएसएफ के निरीक्षक राजकुमार, खेरिया मोड़ चौकी प्रभारी ज्ञानसिंह, सरपंच प्रतिनिधि भौंरयालाल पाराशर, मानसिंह, मोहरसिंह, शिवराम, जीवनसिंह, मनोहरी, रघुनाथ, ब्रदी मीणा, रेवतीप्रसाद, प्रेम आदि मौजूद थे।
पैकेज में मिलेंगी ये सुविधाएं : सरकार द्वारा पैकेज में शहीद के एक आश्रित को सरकारी नौकरी, वीरांगना को पेंशन, 55-60 लाख रुपए की आर्थिक सहायता, 4 हजार वर्गफुट मकान निर्माण के लिए सीमेंट, राज्य सरकार द्वारा पेट्रोल पंप, मेडिकल एमबीबीएस और आईआईटी में रिजर्व सीट पर आश्रित को प्रवेश की सुविधा मिलेगी।
जिले में चार जवानों को मिलेगा शहीद का दर्जा
जिले में बीएसएफ के 4 जवानों को अब शहीद का दर्जा मिलेगा। इससे पहले मई में भरतपुर शहर निवासी 52वीं बटालियन के वीरेंद्र सिंह को शहीद का दर्जा मिल चुका है। उनकी वीरांगना सुमन देवी को शहीद सम्मान पत्र दिया गया। वीरेंद्र सिंह वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान जम्मू कश्मीर में वीरगति को प्राप्त हुए थे। डिप्टी कमांडेंट मनोज कुमार के मुताबिक जिले के 2 शहीदों के लिए और प्रस्ताव बनाकर भिजवाए गए हैं।
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