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कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को बछामदी, खैमरा एवं चिकसाना में किसान संवाद किए गए। इस दौरान चिकित्सा राज्यमंत्री डा. सुभाष गर्ग ने किसानों को बताया कि केंद्र सरकार की ओर से हाल ही लागू किए गए 3 कृषि कानूनों पूंजीपतियों को ज्यादा फायदा पहुंचाने वाले हैं। इनसे किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। क्योंकि इनसे परंपरागत खेती समाप्त हो जाएगी। लोकसभा से भी चर्चा कराए बिना ही इन कानूनों को पारित करवा लिया। क्योंकि इनमें पूंजीपतियों को लाभ दिलाने के लिए कान्ट्रेक्ट फार्मिंग एवं स्टाक की सीमा समाप्त करने जैसे प्रावधान किए गए हैं।
फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रखने का इन कानूनों में उल्लेख नहीं है। इससे किसान अपनी फसल पूंजीपतियों को बेचने के लिए मजबूर हो जाएगा। इन कानूनों को वापस लेने के लिए किसान पिछले 40 दिन से कड़ाके की ठंड एवं बरसात में सड़कों पर बैठे हुए हैं। लेकिन, केन्द्र सरकार की इनके प्रति कोई सद्भावना नहीं है। इन कानूनों में कृषि उपज मंडियां समाप्त करने का भी प्रावधान किया है। इससे मंडियों में काम करने वाले हजारों लोग बेरोजगार हो जायेंगे।
राज्यमंत्री गर्ग ने बताया कि राज्य सरकार ने किसानों के हित में कई निर्णय लिए हैं। इनमें कृषि कनेक्शनों की विद्युत दरें नहीं बढाने, कृषि कनेक्शनों पर वीसीआर नहीं भरने और 5 एकड़ भूमि के काश्तकारों के अवधिपार सहकारी ऋणों में भूमि को कुर्क नहीं करना शामिल है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने किसानों के सहकारी ऋण माफ कर दिए हैं, लेकिन केन्द्र सरकार वाणिज्यिक बैंकों के ऋणों को माफ नहीं कर रही है।
इस दौरान डॉ. गर्ग ने भरोसा दिलाया कि फरवरी तक सभी गावों में चंबल का पानी मुहैया करवा दिया जाएगा। कन्या पाठशाला के क्षतिग्रस्त भवन की मरम्मत और सीनियर सैकेंडरी विद्यालय में अतिरिक्त कक्षा कक्ष निर्माण के लिए तकमीना तैयार कराने के भी निर्देश दिए। इस मौके पर नगर निगम मेयर अभिजीत कुमार, लोकदल जिलाध्यक्ष संतोष फौजदार, शहर कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष संजय शुक्ला आदि मौजूद थे।
फसलों की एमएसपी सुनिश्चित करे सरकारः भाकिसं
इधर, भारतीय किसान संघ ने केंद्र के कृषि बिलों का समर्थन किया है। जिलाध्यक्ष अजमेर सिंह की अध्यक्षता में वैदिक साधु आश्रम पर हुई बैठक में जिला संरक्षक झम्मन सिंह आर्य ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि बिल किसानों के हित में हैं। लेकिन, इनमें कुछ बदलाव की जरूरत है। केंद्र सरकार द्वारा कृषि उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय तो करती है, लेकिन उसका लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है।
नए कृषि कानूनों में यह सुनिश्चित हो कि किसानों की फसल बाजार भाव या एमएसपी से कम दर पर नहीं बिके। व्यापारियों और आढ़तियों में इतना डर रहे कि इससे नीचे कोई भी व्यक्ति कृषि उत्पाद किसान से खरीद नहीं सके। विवाद की स्थिति में किसान को घर बैठे न्याय मिले। प्रांतीय सदस्य मोहनसिंह सेंत ने कहा कि बैंकों द्वारा कार की तरह ट्रैक्टर ऋण भी सस्ती ब्याज दर पर दिए जाएं। किसान क्रेडिट कार्ड पर 10 लाख रुपए तक का ऋण जीरो प्रतिशत ब्याज दर पर दिया जाना चाहिए।
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