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कस्बा के राधारानी पैलेस में आयोजित भागवत कथा में कथावाचक दिव्य मुरारी बापू ने कहा कि भागवत कथा भोगियों के लिए नहीं, बल्कि साधकों के लिए है। जो मानव भगवान श्री नारायण के चरण कमलों की साधना करता है वह इस संसार रूपी मोह-माया के जाल से निकल कर परम पद को प्राप्त करता है। मंगलवार को भीमद् भागवत के विश्राम की कथा करते हुए सुदामा चरित्र की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि धर्म से वृति योग से ज्ञान, ज्ञान मोक्षप्रद वेद बखाना .... यानी अर्थ और काम तथा मोक्ष और धर्म का जोड़ा है।
काम की सिद्धि अर्थ के बिना नहीं होती, वासना की पूर्ति के लिए पैसे चाहिए। इसी तरह मोक्ष के लिए धर्म चाहिए। बिना धर्म के मोक्ष नहीं और बिना अर्थ के काम नहीं। कथावाचक दिव्य मुरारी बापू ने कहा कि भगवान कृष्ण मन के भीतर की पवित्रता के लिए सद्विचारों की खेती का सुझाव देते हैं। अर्थात अच्छा सोचें, अच्छा सुनें, अच्छा ही बोलें। दूसरों के अवगुणों को त्याग कर सद्गुणों को ग्रहण करें।
ऐसे ही अपने बाल सखा सुदामा का उद्धार किया। इसके अलावा सभाजित कथा, गुरू दत्तात्रेय के 24 गुरू का वर्णन, राजा निमि को नवयोगेश्वरों का वर्णन आदि कथाओं का वर्णन किया। सुदामा चरित्र का वर्णन सुन श्रोता रोने लगे। फूलों की होली के साथ कथा का समापन हुआ। कथा का श्रोताओं ने जमकर आनंद लिया। आयोजक शिवचरन लाल, विष्णु दयाल, महेश चंद, दिनेश चंद, प्रेमनारायण सोनी ने परिवार सहित आरती कर प्रसाद का वितरण किया।
पॉजिटिव- आज आर्थिक योजनाओं को फलीभूत करने का उचित समय है। पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी क्षमता अनुसार काम करें। भूमि संबंधी खरीद-फरोख्त का काम संपन्न हो सकता है। विद्यार्थियों की करियर संबंधी किसी समस्...
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