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बचपन में रेल की पटरी पर खेलते समय गिरीश का दायां पैर कट गया। लेकिन आगे बढ़ने का जज्बा कायम रहा। पैरा ओलंपिक बैडमिंटन खिलाड़ी बनकर नेशनल और इंटरनेशनल मेडल जीते। तीन साल पहले फिर गिरीश के दाये पैर और दो साल पहले व्हील चेयर पलटने से सोल्जर फेक्चर हो गया। फिर भी हौसला नहीं खोया। गिरीश अब तक गुजरात में रहते हुए चित्तौड़गढ़ जिले का गौरव बढ़ा चुके हैं। अब वह ओलंपिक में मेडल जीतना चाहते हैं, लेकिन इसकी ट्रेनिंग और तैयारी के लिए कोई स्पोंसर नहीं मिला। बेगूं तहसील के नंदवाई निवासी 33 वर्षीय गिरीश शर्मा पुत्र जयंतीलाल एक पैर के अनूठे बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। पिता की नौकरी से वो शुरू से गुजरात में रहे। बचपन में रेल की पटरी पर खेलते समय उनका दायां पैर रेल से कट गया। दिव्यांगता को हावी नहीं होने दिया। बैडमिंटन खेल में रुचि होने से कड़ी मेहनत से तराशा। गिरीश ने बताया कि सितंबर में जापान में पैरा ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियनशिप होगी। मैं बैडमिंटन में वर्ल्ड चैंपियन बनकर देश को गौरवान्वित करना चाहता हूं।
इससे पहले दुबई, स्पेन और पेरिस में इंटरनेशनल रैंकिंग मैच खेलने होंगे। चूंकि पिता के रिटायरमेंट के बाद परिवार राजस्थान लौट आया तो अब गिरीश के लिए नई समस्या आ गई। यहां अब तक न तो उनकी तरफ सरकार का ध्यान गया और न किसी प्रायोजक का। जबकि ओलंपिक की तैयारी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रैकिंग मैच खेलने के लिए स्पोंसर जरूरी है। जो उनका खर्चा निकालकर आजीविका भी चला सके। कुछ महीने पहले ही पैतृक गांव नंदवाई लौटे गिरीश ने उदयपुर में ट्रेनिंग शुरू की पर खर्च वहन नहीं कर पाने से छूट गई। वह सरकारी नौकरी के लिए अर्जियां लग रहे हैं।
पहले गुजरात से खेलते थे, गांव लौटे, अब राजस्थान का प्रतिनिधित्व करेंगे
वर्ष 2017 में बाइक फिसलने से गिरीश का फिर से दायां पैर फेक्चर हो गया था। वर्ष 2019 में इंटरनेशनल वर्ल्ड रेंकिंग दुबई में चाइना और इंडिया के बीच क्वाटर मैच के दौरान गिरीश की व्हील चेयर पलट गई। इससे राइट सोल्जर फेक्चर हो गया। पांच दिन दुबई और 3 दिन पूना उपचार कराया। इसके बाद भी करीब 8 माह घर पर रेस्ट कर स्वस्थ हुए।
गिरीश पहले बिना व्हील चेयर के ही बैडमिंटन खेलते थे। इससे पैर और शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ने के अंदेशे से बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन बीडब्ल्यूएस द्वारा 2015 से दिव्यांग खिलाड़ी को मैच व्हील चेयर पर खेलने का निर्णय लिया। तब से गिरीश व्हील चेयर पर मैच खेल रहे हैं। करीब दो लाख की एक व्हील चेयर उसको आदित्य मेहता फाउंडेशन द्वारा प्रदान की गई।
एशिया कप सिंगल और डबल में गोल्ड मेडल जीतकर बने नंबर वन खिलाड़ी
गिरीश शर्मा 2008 में एशिया पैरालंपिक कप सिंगल और डबल में गोल्ड मेडल जीतकर देश के नंबर वन खिलाड़ी बने। इसी साल बैंगलोर में एशियन पैरालंपिक कप इंटरनेशनल रैंकिंग में सिंगल और डबल में गोल्ड मेडल जीता।
वर्ष 2009 साउथ कोरिया वर्ल्ड चैंपियनशिप में क्वाटर फाइनल मैच खेला, 2015 पीरु लीना अमेरिका इंटरनेशनल मेन सिंगल में सिल्वर जीता, 2018 मुंबई मेन सिंगल में ब्रांज जीता, नेशनल लेवल पर 2015 में बैंगलोर में गोल्ड, मुंबई नेशनल चैंपियनशिप में ब्रांज,2014 बैंगलोर में ब्रांज,2013 मुंबई में सिल्वर मेडल,2011 बेंगलुरु नेशनल में गोल्ड मेडल व डबल में सिल्वर,2009 बैंगलूरू में गोल्ड, 2008 उड़ीसा में विनर खेला,2007 उड़ीसा नेशनल में दूसरी पोजीशन रही। 2007 बैंगलूरू में गिरीश ने पहली बार नेशनल बैडमिंटन खिलाड़ी के रूप में प्रदर्शन किया।
ओलंपिक के लिए प्रयास
गिरीश ओलंपिक में खेलने वाले राजस्थान के पहले बैडमिंटन खिलाड़ी बन सकते हैं। कारण, ओलंपिक में पहली बार पैरा बैडमिंटन को शामिल किया है। गिरीश के लिए अच्छा मौका है लेकिन उनके सामने समस्याएं भी हैं।
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