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चित्तौड़ के यतींद्र का RAS में चयन:IIT में नहीं हुआ सलेक्शन, दो बार IAS एग्जाम में फेल होने के बाद भी नहीं मानी हार, RAS के लिए की दुगुनी मेहनत तो पहली बार में ही हुआ सलेक्शन

चित्तौड़गढ़2 वर्ष पहले
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बड़ीसादड़ी के यतींद्र पोरवाल का RAS में हुआ चयन। - Dainik Bhaskar
बड़ीसादड़ी के यतींद्र पोरवाल का RAS में हुआ चयन।

आरपीएससी की ओर से जारी 2018 के RAS के फाइनल रिजल्ट में 42वीं रैंक हासिल कर बड़ीसादड़ी के यतींद्र पोरवाल ने चित्तौड़ का मान बढ़ाया। दो बार IAS के एग्जाम में फेल हो चुके यतीन्द्र ने अपना हौसला बनाए रखा और कड़ी मेहनत के बाद आज यह रैंक हासिल कर ली। माता-पिता के शिक्षा से जुड़े होने के कारण शुरू से ही पढ़ाई में मन था।

बड़ीसादड़ी निवासी यतीन्द्र पोरवाल ने अपनी स्कूलिंग सरकारी स्कूल से की। बड़ीसादड़ी के छोटे से स्कूल खरदेवला राजकीय प्राथमिक विद्यालय से 1 से 5वीं तक पढ़ाई की। उसके बाद विवेकानंद उच्च माध्यमिक विद्यालय से 10वीं तक पढ़ाई की। यतींद्र ने 8वीं बोर्ड में जिला टॉपर रहे और 10वी बोर्ड में जिले में 6 रैंक हासिल की थी।

ना हुआ IIT और ना पास कर पाए IAS, हौसला डगमगाया लेकिन टूटा नहीं

यतींद्र ने बताया कि कई बार अलग-अलग सपने देखे लेकिन पूरे नहीं हो पाए। 11 व 12 के लिए कोटा चले गए ताकि IIT कर सके लेकिन वो भी नहीं हो पाया। उसके बाद उदयपुर से बीटेक (सिविल इंजीनियरिंग) करने के बाद 2016 से 2018 में IAS की तैयारियां शुरू की।

ग्रेजुएशन के बाद अहमदाबाद से प्लेसमेंट ऑफर अभी आया था लेकिन उसे भी छोड़ दिया। दो बार IAS का एग्जाम देने के बावजूद भी यतींद्र को सफलता हाथ नहीं लगी। ऐसे में यतींद्र का कहना है कि कुछ दिनों के लिए काफी निराशा हुई। लगा कि यह सब छोड़ देना चाहिए। लेकिन जब याद किया कि मैं किसलिए यह सब कर रहा हूँ तो फिर शुरुआत करने की ठान ली।

परिवार के साथ यतींद्र पोरवाल।
परिवार के साथ यतींद्र पोरवाल।

एक ही महीने में मिली डबल खुशी, पिता को भी मिला प्रमोशन

25 वर्षीय यतींद्र का कहना है कि उन पर किसी तरह का दबाब नहीं रहा है। सिलेक्शन नहीं होने पर परिवार ने ही साथ दिया। आगे बढ़ने को कहा। पिता अभी खरदेवला के स्कूल में प्रिंसिपल है। इसी महीने उनके पिता का प्रमोशन हुआ और वे डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर बन चुके हैं। एक ही महीने में मिली दो खुशियों को पोरवाल परिवार सेलिब्रेट कर रहे हैं। मां भी खरदेवला के स्कूल में हिंदी लेक्चरार है। यतींद्र ने कहा कि धैर्य की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। उसके अलावा पॉजिटिव रहने, राइट डायरेक्शन को चुनना भी उतना ही जरूरी होता है।

इसरो के वैज्ञानिकों के साथ ली थी ट्रेनिंग

यतींद्र बचपन से ही बहुत टैलेंटेड रहे हैं उन्होंने अपने कॉलेज के दौरान कॉलेज के दौरान इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान) के वैज्ञानिकों के साथ ट्रेनिंग भी की है। इंजिनियरिंग की पढ़ाई के साथ साथ वो कई एक्टिविटीज में भी भाग लिया है। इसी समय यतींद्र ने एक रिसर्च पेपर भी पब्लिश किया जो कि तुर्की की एक अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के लिए सेलेक्ट भी हुआ था।

पटवारी पोस्ट के लिए लगी थी जॉब, लेकिन जॉइन ही नहीं किया

यतींद्र ने शुरू से ही अपना टारगेट सेट कर रखा था। उनका ग्रेजुएशन के समय है 2015 में पटवारी परीक्षा में सलेक्शन हो चुका था। लेकिन प्रशासनिक सेवा की तैयारी का लक्ष्य था। इसलिए उस नौकरी को ज्वाइन नहीं किया।

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