तेरापंथ आचार्य श्री महाश्रमण की पैदल यात्रा का आभा मंडल कुछ ऐसा बन गया कि उनके दोनों ओर 10 किमी तक मानो किसी वीआईपी विजिट की आहट हो। हाईवे किनारे की थड़ी-दुकानों पर बैठे ग्रामीणों ने कहा कि कोई बडे संत आ रहे हैं पर आगे पीछे अनुयाईयों का लवाजमा, स्वागत तैयारी और पुलिस की भागदौड़ ऐसी जैसे गहलोत साहब आ रहे हैं।
अहिंसा यात्रा जिले में प्रवास के छठे दिन सुबह भीलवाड़ा मार्ग के पहले गांव पुठोली से आगे बढ़ी और गंगरार उपखंड मुख्यालय पहुंची। करीब 11-12 किमी के इस सफर में भास्कर टीम भी साथ थी। पुठोली पुलिया से उतरते ही चंदेरिया लेड जिंक सयंत्र से लेकर मेडीखेड़ा फाटक तक मार्बल-ग्रेनाइट की कई फैक्ट्रियां है।
लिहाजा इस रुट पर एक बड़ी खासियत यह नजर आई कि कहीं उधमी या बड़े व्यापारी पहले से पलक पावडे बिछाए खड़े थे तो कहीं मजूदर और किसान भी दर्शन को। प्रवास स्थल से आचार्य श्री से निकलने के पहले ही उनके कई शिष्य संत खासकर साध्वियां अलग अलग समूह में आगे चल पड़ती हैं।
पुलिस गाडियां भी चक्कर काटती रहती है ताकि कहीं यातायात या सुरक्षा खामी नहीं रहे। इसी तरह कई जगह बाहर के जैन खासकर तेरापंथ अनुयाई भी दर्शन -विहार सेवा के लिए खड़े होकर यात्रा से जुड़ जाते हैं। आजोलिया का खेड़ा में एक चाय की दुकान पर बैठे ग्रामीणों से पूछा कि कौन आ रहा है? जवाब मिला कि कोई बडे महाराज(संत) आ रहे हैं पर उनका प्रभाव ऐसा कि जैसे गहलोत साहब आ रहे। उनके कहने का मतलब मुख्यमंत्री जैसी वीआईपी विजिट। आचार्य चित्तौड़ के बाद दूसरा पड़ा गंगरार रहा।
10 किमी तक मानो किसी वीवीआईपी की आहट
आजोलिया का खेड़ा रीको औद्यौगिक क्षेत्र आते ही कई मार्बल उद्यमी परिवार अपने स्वागत द्वार व काउंटर लगाकर खड़े थे। पेट्रोल पंप के पास औधोगिक समूह अध्यक्ष अरविंद ढीलीवाल के साथ कुछ मजदूर अलग ही हावभाव लिए जमा थे। यहां महाश्रमण जी ने नशामुक्ति की प्रेरणा दी।
ढिलीवाल ने कहा कि ये इसी संकल्प से आए। मजदूरों ने उसी क्षण जेब से बीडी, गुटखा, तंबाकू निकाल सड़क पर फेंक दिए। आचार्य ने आशीर्वाद दिया। उनके संकेत पर अन्य संत ने इनको व्यसन त्याग करवाएं। पुठोली पुलिया से नीचे उतरते ही पहला स्वागत हिंदुस्तान जिंक के चंदेरिया लेड जिंक श्रमिक यूनियन इंटक का था।
महामंत्री घनश्यामसिंह राणावत के नेतृत्व में वरिष्ठ उपाध्यक्ष एके मौड़, कोषाध्यक्ष प्रवक्ता जीएनएस चौहान, सचिव पीसी बाफना, बंशीधर प्रसाद, बद्री बैरागी, दिनेश पायक आदि ने आचार्यश्री को सयंत्र की जानकारी दी।
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