इंदौर में सिंधी समाज के मंदिरों में गुरु ग्रंथ साहिब की मर्यादा को लेकर हुए विवाद का असर बुधवार को भीलवाड़ा में भी नजर आया। यहां भारतीय सिंधु सन्त समाज ट्रस्ट की कोर कमेटी ने सिंधुनगर स्थित श्री गोविंद धाम दरबार (नीम वाली दरबार) में रखे श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के (24) स्वरूप को सिख गुरुद्वारा कमेटी को सौंपे। इस दौरान सिंधी समाज के लोगों ने गुरु ग्रंथ साहिब की शोभायात्रा निकाली। जिसका नेतृत्व महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने किया।
महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने बताया कि इंदौर जैसा कोई विवाद भीलवाड़ा में न हो, इसलिए भीलवाड़ा में हरि सेवा उदासीन आश्रम सनातन मन्दिर के संत समाज ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूप गुरुद्वारे में सौंपे हैं। इधर, महंत गणेश दास व भगवान श्री चंद्र धाम के महंत गुरदास उदासीन का कहना है कि हमारे मंदिरों में पूरे सम्मान के साथ पवित्र ग्रंथ को रखा जाता है। हमारे मन्दिर सनातनी स्वरूप में ही होते है। मंदिरों में भगवान राम, भगवान शंकर, भगवान गणेश, मां दुर्गा, भगवान हनुमान, भगवान श्री चंद्र जी, आराध्य देव झूलेलाल और अन्य साधु संतों की मूर्तियां, तस्वीरें, समाधियां भी स्थापित रहती हैं व उनका सेवा पूजन किया जाता है। वहीं अपने सतगुरुओं की मूर्ति का भी पूजन होता है। ऐसे में कोई विवाद न हो, इसलिए पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहब को सम्मान के साथ बुधवार को लौटाया गया।
यह हुआ था विवाद
दरअसल, कुछ दिन पहले सिख समाज की संस्था शिरोमणि पंथ अकाली बुढ़ा दल के निहंग का एक समूह इंदौर की पार्श्वनाथ कॉलोनी स्थित एक सिंधी मंदिर पहुंचा था। निहंग समूह ने कहा कि यहां श्री गुरुग्रंथ साहिब की मर्यादा का पालन नहीं किया जा रहा है। इसलिए वे ग्रंथ साहिब को देखना चाह रहे थे। लेकिन मंदिर बंद होने के कारण उन्हें पुजारी ने अगले दिन आने को कहा। इस दौरान विवाद की स्थिति बनी और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वहीं राजमहल कॉलोनी में एक सिंधी गुरुद्वारे पर निहंग कमेटी का जत्था पहुंचा था। जहां से वे श्री गुरुग्रंथ साहिब ले गए। घटना के वीडियो वायरल होने के चलते पूरा मामला देशभर में फैल गया।
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