जिले के कोटड़ी सीबीईओकार्यालय के संविदा कर्मी द्वारा 11 सालों में 2 करोड़ से ज्यादा का गबन मामला उजागर होने के बाद अब शिक्षा विभाग को अपनी ही ऑडिट व्यवस्था पर शक होने लगा है। संविदाकर्मी गोपाल जैसे गबन करने वाले और भी कर्मचारियों का शक होने के चलते जिले में पहली बार शिक्षा विभाग की ओर से सबसे बड़ी जांच की जाएगी। इसके तहत जिले के सभी सीबीईओ कार्यालय में 2 दिनों तक पिछले 5 वर्षों में संधारण किए गए सभी बिल व बैंक डिटेल की गहनता से जांच की जाएगी। इस पूरी जांच पर शिक्षा विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर राधेश्याम शर्मा निगरानी रखेंगे। यह जांच प्रक्रिया 11 व 12 सितम्बर को की जाएगी। जिसकी विस्तृत रिपोर्ट सभी सीडीईओ को 15 सितम्बर तक जॉइंट डायरेक्टर को सौंपनी है।
गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से कोटडी सीबीईओ कार्यालय में शिक्षा विभाग द्वारा गठित की गई टीम द्वारा संविदा कर्मी गोपाल सुवालका के खिलाफ जांच चल रही है। टीम द्वारा अब तक की गई जांच में गोपाल सुवालका द्वारा अलग-अलग तरह से करीब 2.15 करोड़ रुपए का गबन करना उजागर हो चुका है। गोपाल सुवालका ने यह गबन अलग-अलग स्कूलों में काल्पनिक शिक्षक बनाकर उनका वेतन अपनी पत्नी के खाते में ट्रांसफर किया था। इसके साथ ही गोपाल ने कोटडी सीबीईओ कार्यालय के करीब 5 सालों में हेरफेर कर 1.53 करोड़ रुपए अलग-अलग खातों से निकाल दिए। गोपाल सुवालका द्वारा किए गए गबन की अभी भी जांच चल रही है। गोपाल 14 वर्ष से कोटडी सीबीईओ कार्यालय में संविदा कर्मी के रूप में लगा हुआ था। इस पूरे कार्यकाल में जारी किए गए बिल व सभी स्कूलों के वेतन संबंधी रिकॉर्ड को खंगाला जा रहा है।
विभाग की कार्यशैली भी शक के घेरे में
पुलिस व शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा यह भी अंदेशा लगाया जा रहा है कि अकेले गोपाल सुवालका द्वारा इतना बड़ा गबन नहीं किया जा सकता। 11 सालों में इतने बड़े गबन की किसी भी अधिकारी को भनक नहीं पड़ी। यह शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सबसे बड़ा सवाल उठा रहा है। वही इन 11 सालों की समय अवधि में शिक्षा विभाग की ओर से कई बार ऑडिट भी करवाई गई है। जांच टीम द्वारा इन सभी पहलुओं पर अलग-अलग रूप से रिपोर्ट तैयार की जा रही है। प्रतिदिन गोपाल सुवालका के गबन के नए पन्ने सामने आ रहे हैं। अधिकारी अभी भी स्पष्ट नहीं है कि गोपाल सुवालका ने शिक्षा विभाग को कुल कितना चुना लगाया है।
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