आरएएस के नतीजे:श्रम निरीक्षक संगीता व्यास ने आरएएस में चौथी व नेहा छीपा ने 48वीं रैंक प्राप्त की

भीलवाड़ा2 वर्ष पहले
  • कॉपी लिंक
  • मेहनत और किस्मत के सहारे गढ़ी सफलता की कहानी

आरएएस में भीलवाड़ा जिले के अभ्यर्थी भी सफल रहे। इनमें श्रम निरीक्षक संगीता व्यास शामिल हैं। आरएएस अलाइड सर्विस में दो बार चयनित होने के बाद भी तैयारी जारी रखीं। श्रम निरीक्षक संगीता 2013 से ही आरएएस के लिए तैयारी कर रही थीं।

इससे पहले तृतीय श्रेणी, द्वितीय श्रेणी शिक्षिका के रूप में चयनित हो चुकी हैं। लेकिन संगीता का सपना आरएएस बनने का ही था जो आठ साल की मेहनत से पूरा हो गया। उन्होंने आरएएस (कैटेगरी विधवा) में चौथा स्थान हासिल किया है। वे चंद्रशेखर आजाद नगर में सास-ससुर और बच्चों के साथ रहती हैं।

संगीता का संदेश :

  • अगर जज्बा है तो परिवार की जिम्मेदारी के साथ ही सपने के लिए मेहनत भी की जा सकती है।
  • कोचिंग पर भरोसा नहीं करके सेल्फ स्टडी पर विश्वास रखें।

प्री में चयन नहीं बताया, संशोधित सूची में नेहा का नाम

आरएएस में 48वीं रैंक लाने वाली नेहा छीपा आरएएस 2018 प्री में मुख्य परीक्षा के लिए चयनित होने से रह गईं। कुछ दिन बाद नतीजे संशोधित हुए तो वे चयनित हुईं। इस चयन से आत्मविश्वास आया तो नेहा ने अपनी मेहनत से नतीजा पक्ष में कर लिया। 10वीं में 93 प्रतिशत और 12वीं में 80 प्रतिशत लाने वाली नेहा की प्री परीक्षा में सफलता के बाद पिता सुरेश कुमार ने जोधपुर में कोचिंग के लिए भेजा।

मूलत: बेगूं निवासी नेहा की पढ़ाई के लिए पिता सुरेश व माता आशा छीपा परिवार समेत भीलवाड़ा रहने लगे। नेहा ने बताया कि 2017 में सीबीडीटी में स्टेनोग्राफर बनी। वर्तमान में अहमदाबाद में कार्यरत हैं। नतीजे से पहले आरएएस प्री के एग्जाम की तैयारी की। फिर मेहनत के बल पर यहां पहुंची।

एक-दूसरे की पढ़ाई में मदद कर दोनों बने अधिकारी

भाई का भाई के प्रति फर्ज क्या हाेता है। इसका जीवंत उदाहरण बैजनाथियां गांव के दो भाई माेतीराम जाट एवं दुर्गाशंकर हैं। पहले माेतीराम ने छाेटे भाई दुर्गाशंकर काे पढ़ाकर आरटीओ में इस्पेक्टर बनाया। इसके बाद छाेटे भाई दुर्गाशंकर ने रिश्ते का फर्ज अदा करते बड़े भाई माेतीराम काे आरएएस परीक्षा 2018 की तैयारी कराई।

मोतीराम आरएएस परीक्षा में प्रदेश में ओबीसी कैटेगिरी में 78 रैंक पर सफल हुए। माेतीराज पुत्र बरदू जाट की जनरल कैटेगिरी में 441वीं रैंक है। यह दूसरा प्रयास था। माेतीराम 2015 तक जयपुर में एक फैक्ट्री में काम करते थे, तब दुर्गाशंकर काे पढ़ाया। वह अभी भीलवाड़ा परिवहन विभाग में इंस्पेक्टर कार्यरत है। हम दोनों ने कोचिंग नहीं की।