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संत ललित प्रभ महाराज ने कहा कि ईश्वर के घर से हममें से हर इंसान को एक बहुत बड़ी ताकत मिली है, वह है-सोचने समझने की क्षमता। इसलिए अपनी ब्रेन वाशिंग कीजिए। भगवान के घर से हमारे दिमाग में हर समय विचारों के रूप में झरना बहता रहता है। कृपया इस झरने को अपनी गंगा बनाइए, गंदा नाला नहीं। उन्होंने कहा कि आपकी सोच आपके विचारों को, विचार वाणी को, वाणी व्यवहार को एवं व्यवहार आपके व्यक्तित्व को प्रेरित और प्रभावित करता है।
एक सुंदर और खूबसूरत व्यक्तित्व, व्यवहार, वाणी और विचारों का मालिक बनने के लिए अपनी सोच को कुतुबमीनार जैसी ऊंची, ताजमहल जैसी सुंदर और देलवाड़ा के मंदिरों जैसी खूबसूरत बनाइए। सोच को सुंदर बनाना न केवल अपने संबंध, सृजन और आभामंडल को सुंदर तथा प्रभावी बनाने का तरीका है, बल्कि सुंदर सोच परमपिता परमेश्वर की सबसे अच्छी पूजा है। संत ललितप्रभ महाराज भीलवाड़ा के बीएसएल पर आयोजित प्रवचन कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सचिन नाटा होकर भी, लाल बहादुर शास्त्री गरीब घर में पैदा होकर भी और अंबानी इंटरमीडियट होकर भी शीर्ष पर पहुंच गए।
फिर हम ही मुंह लटकाए मायूस क्यों बैठे हैं। जीवन में फिर से जोश जगाएं और कामयाबी के आसमान को छूने के लिए अभी इसी वक्त छलांग लगा दें। नई ऊर्जा और उमंग के साथ सबको मधुर फल देने वाले बीज बोइए। प्रवचन में सुरेंद्र सिंह सुराणा, मंजू पोखरना, अर्चना सोनी, सुमन सोनी, संगीता अग्रवाल, सुनीता मारू एवं चेतना मारू उपस्थित थे। महावीर चौधरी ने बताया कि संत बुधवार सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक कांचीपुरम में प्रवास करेंगे।
संत ने बताया रिश्ते और सकारात्मकता का महत्व
जिस सास से आपको शिकायत है, जिस पिता से आपको पीड़ा है, जिस ग्राहक से आपको ग्लानि है, कृपया उनके प्रति मात्र 10 मिनट के लिए अपनी सोच को सुंदर और सकारात्मक बनाकर देखिए। आप उन्हें गले लगाने को बावले हो उठेंगे। उन्होंने कहा कि दुनिया में कौनसा ऐसा पति है, जो राम का अवतार हो और कौन-सी ऐसी पत्नी है, जो सती सावित्री हो। अपने मन में घर कर चुकी शिकायतों और शंकाओं को दूर हटाइए, चार दिन की जिंदगी है, प्यार से जीना शुरू कर दीजिए।
सारे झगड़ों की जड़ है, हमारी नकारात्मक सोच
संत प्रवर ने कहा कि सारे झगड़ों की जड़ है, हमारी नकारात्मक सोच और सारे समाधानों का आधार है, हमारी सकारात्मक सोच। गिलास को आधा भरा हुआ देखेंगे तो कमजोर का भी उपयोग कर लेंगे। गिलास आधा खाली देखेंगे तो सगे भाई से भी पल्लू झाड़ बैठेंगे। उन्होंने कहा कि नकारात्मक सोच तोड़ती है, सकारात्मक सोच जोड़ती है। साधारण किस्म के लोग गिलास आधा खाली देखते हैं, समझदार लोग गिलास आधा भरा देखते हैं।
पॉजिटिव- किसी विशिष्ट कार्य को पूरा करने में आपकी मेहनत आज कामयाब होगी। समय में सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है। घर और समाज में भी आपके योगदान व काम की सराहना होगी। नेगेटिव- किसी नजदीकी संबंधी की वजह स...
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