केवल 20 हजार रुपए के लिए मां-बाप ने अपनी 10 साल की बच्ची को गिरवी रख दिया। बच्ची से घर के काम के अलावा जानवरों की देखभाल करवाई जाती है। उसके बदले दो वक्त की रोटी नसीब होती है। चाइल्ड लाइन में शिकायत मिलने के बाद बच्ची को छुड़वाया गया।
ये मामला भीलवाड़ा के रायला का है। चाइल्ड लाइन के 1098 नम्बर पर शुक्रवार को शिकायत मिली कि रायला कस्बे के कुंडिया गेट के पास एक घर में 10 साल की मासूम बच्ची को बंधुआ मजदूर बना रखा है। चाइल्ड लाइन काउंसलर निर्मला पुरोहित अपनी टीम और पुलिस के साथ उसके घर पर पहुंची। तब परिवार ने बताया कि बच्ची भैंस चराने गई हुई है। टीम के लोग गांव में गए और भैंस चराती बच्ची को लेकर सखी सेंटर पहुंचे।
टीम ने बच्ची को पहले बाल कल्याण समिति सदस्य फारुख खान पठान के सामने पेश किया। बालिका को बाल कल्याण समिति की ओर से आश्रय की जरूरत होने से सखी वन स्टॉप सेंटर में रखवाया गया। बाल कल्याण समिति अध्यक्ष गिरीश कुमार पाण्डेय ने चाइल्ड लाइन से मानव तस्करी विरोधी यूनिट से संपर्क किया। इसके बाद चाइल्ड लाइन परियोजना समन्वयक हेमंत सिंह सिसोदिया ने रायला पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया।
डेढ़ साल से मासूम कर रही काम
चाइल्ड काउंसलर निर्मला पुरोहित ने बच्ची की काउंसलिंग की। बच्ची ने बताया कि उसके माता-पिता रायला में लगभग 1 से 1.5 साल पहले 20 हजार रुपए लेकर काम करने के लिए छोड़कर चले गए थे। वह उनके घर पर ही रह रही है और घरेलू काम करती है। भैंस चराती है और मुर्गियों की देख रेख करती है। सुबह जल्दी उठकर पशुओं की देखभाल करती। पढ़ने भी नहीं जाती है।
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