केशव अस्पताल के पास कोठारी नदी पर निर्माणाधीन पुलिया में छेद होने की जांच रिपोर्ट का विश्लेषण बुधवार को यूआईटी के अधिकारियों ने प्रारंभ कर दिया। जांच रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया ठेकेदार की लापरवाही सामने आई है। बताया गया है कि ठेकेदार ने तैयार सीमेंट मेटेरियल को निर्धारित समय में उपयोग में नहीं लिया। जिससे वह उपयोग में लेने योग्य नहीं रहा। इसके बावजूद ठेकेदार ने उसी मेटेरियल से स्लैब बना दी। जिससे स्लैब कमजोर रह गई। स्लैब में छेद होने का एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि पुलिया के सरियों को कवर भी ठीक से नहीं किया गया।
नियमानुसार, 40 एमएम कवर किए जाने चाहिए, उसकी जगह 80 से 100 एमएम के कवर किए गए। जांच टीम ने क्षतिग्रस्त स्लैब को हटाकर दुबारा बनाने की अनुशंषा की है। ठेकेदार से स्लैब हटवाकर फिर से बनवाई जाएगी। पुलिया का काम पूरा हो जाने के बाद एक बार फिर से लोड टेस्ट कराया जाएगा। टेस्ट में पास होने के बाद डामरीकरण कराने के बाद ही आमजन के लिए खोला जाएगा। यूआईटी सचिव अजय आर्य ने बताया कि एमएनआईटी से जांच रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। इसका विश्लेषण किया जाएगा। प्रारंभिक तौर पर ठेकेदार की लापरवाही सामने आई है। इसके अलावा अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी।
13 करोड़ की लागत से बनाई गई है पुलिया
कोठारी नदी पर यूआईटी की ओर से करीब 13 करोड़ रुपए की लागत से बनाई जा रही पुलिया के एक स्लैब में गत तीन दिसंबर को अचानक छेद हो गया। निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग होने की आशंका से यूआईटी ने एमएनआईटी, जयपुर को जांच के निर्देश दिए। एमएनआईटी के प्रोफेसर डॉ. अरुण गौड़ एवं डॉ. गुणवंत शर्मा ने 10 व 11 दिसंबर को यहां आकर जांच की। स्लैब के नमूने लिए। अल्ट्रासॉनिक किरणों एवं ड्रिल से पुलिया की मजबूती जांची।
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