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सभी ग्रहों में सबसे शुभ और विवाह के कारक देव गुरु बृहस्पति रविवार को अस्त हो गए। इसी के साथ मांगलिक कार्यों पर फिर से तीन माह के लिए प्रतिबंध लग गया। अब विवाह के लिए पहला मुहूर्त 22 अप्रैल के बाद है। हालांकि, इस बीच बंसत पचंमी, फुलेरा दूज और रामनवमी अबूझ मुहूर्त पड़ेंगे। इसमें नामकरण और गृहप्रवेश जैसे संस्कार कराए जा सकेंगे।
अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष विज्ञान शाेध संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. पंडित सीताराम त्रिपाठी शास्त्री ने बताया अगले महीने 14 फरवरी को गुरु उदय होगा, लेकिन 2 दिन बाद शुक्र अस्त हो जाएगा। इस वजह से विवाह के लिए लोगों को तीन माह और इंतजार करना होगा।
गुरु और शुक्र ग्रह ज्योतिष शास्त्र के नजरिए से महत्वपूर्ण है। दोनों ग्रह विवाह सुख-संपन्नता और मांगलिक कार्यों का कारक ग्रह माने गए हैं। ऐसे में इनके अस्त रहते नींव पूजन, गृहप्रवेश, मुंडन व नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ नहीं किया जाता।
अस्त का अर्थ सूर्य से 11 अंश की दूरी होने पर नजर नहीं आता है गुरु... खगोल शास्त्र के अनुसार जब कोई ग्रह कुछ विशेष अंशाें के साथ सूर्य के निकट आ जाता है तो उस ग्रह की चमक सूर्य के प्रकाश और तेज के सामने धीमी पड़ जाती है। इस कारण से वह आकाश में दिखाई नहीं देता है। यही कारण है गुरु और शुक्र तारा अस्त होने का। शुक्र जब सूर्य से 9 डिग्री या इससे भी करीब आ जाता है।
12 मार्च तक साथ रहेंगे गुरु सूर्य और शनि
पंडित त्रिपाठी के अनुसार 12 मार्च तक मकर राशि में 3 बड़े ग्रह गुरु, सूर्य और शनि एकसाथ आ गए हैं। ये तीनों ग्रह इस समय चंद्रमा के श्रवण नक्षत्र में हैं। राहु भी इस समय चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में है। जब तक शनि इस नक्षत्र में रहेंगे तब तक बुध, गुरु और शुक्र के नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए परेशानी रहेगी। हालांकि बीच-बीच में चंद्रदेव मदद करते रहेंगे लेकिन खतरा बना हुआ रहेगा। यह समय इंसानों के साथ जानवरों पर भी भारी रह सकता है। अच्छी बात यह भी है कि शनि मेडिसन और गुरु शिक्षा के कारक हैं। विद्यार्थी व डॉक्टरों के लिए अच्छा समय है।
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