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उपखंड का नाहर मंगरा गांव का आबादी क्षेत्र राजस्व खाताें में वन विभाग की भूमि के रूप में दर्ज है। इसलिए बाशिंदाें काे कई सरकारी याेजनाओं का फायदा नहीं मिल पाता। भू-रूपांतरण की मांग करते हुए गुरुवार काे गांव के लाेगाें ने तहसीलदार देवालाल भील को ज्ञापन दिया। करीब 200 साल से बसे नाहर मंगरा गांव का फैलाव पैंतीस बीघा जमीन में है। वर्तमान में डेढ़ साै घराें में लगभग 450 लाेग रहते हैं। मजरा बसा था तब राजस्व रिकॉर्ड में यहां की जमीन बिलानाम दर्ज थी।
तीस वर्ष पहले भूमि को चरागाह व वन विभाग की भूमि के रूप में दर्ज कर दिया। गांव में पक्के, दो मंजिला आवास हैं। सीसी सड़क, सार्वजनिक विश्रांति गृह, पेयजल टंकी व प्राथमिक स्कूल का भवन बना हुआ है। बावजूद इसके भूमि वन विभाग के खाते में प्रतिकूल कब्जा के रूप में दर्ज है। इसका नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ।
तत्कालीन सरपंच दूदाराम गुजर्र की अध्यक्षता में फरवरी 2020 काे हुई बैठक में इस संदर्भ में प्रस्ताव संख्या 14 पारित किया गया। जमीन वन विभाग में दर्ज हाेने से लाेग प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित हैं। मकानाें में नल, बिजली कनेक्शन नहीं मिल रहे।
महानरेगा के तहत यहां के लाेगाें काे काम नहीं मिलता। आए दिन बेदखल करने की कार्रवाई हाेने की अाशंका रहती है। गांव के लाेगाें ने पंचायत समिति चुनाव का बहिष्कार भी किया था। ज्ञापन देने वालाें में मिठूसिंह रावत, चतरसिंह रावत, प्रभुसिंह रावत, प्रतापसिंह रावत, दयालसिंह रावत, अशोकसिंह रावत, मकनसिंह रावत, शंकरसिंह, सुरेंद्र सिंह, मुकेश सिंह, राजूसिंह, नरेंद्रसिंह, सोनूसिंह, पुष्पेंद्र सिंह अादि उपस्थित थे।
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