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(दिलीपसिंह पंवार). राज्य के प्रारंभिक शिक्षा विभाग में नवनियुक्त 20 हजार से अधिक अध्यापक लेवल सेकंड पदों पर कार्यरत शिक्षकों को प्रोबेशन काल पूरा होने के बाद भी पूरा वेतन नहीं मिल रहा है। इन शिक्षकों को 2018 में नियुक्ति मिली थी। इनका नियमानुसार दो वर्ष का प्रोबेशन अक्टूबर 2020 में पूर्ण हो चुका है। चुनाव के चलते जिला परिषद की स्थापना समिति से अभी तक इनका अनुमोदन नहीं हुआ है।
जिसके कारण इनकी स्थायीकरण और नियमितीकरण की प्रक्रिया अटकी हुई है। नियमों की उलझन और लंबी कार्यालय प्रक्रिया का खामियाजा इन शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है। दरअसल शिक्षा विभाग में तृतीय श्रेणी अध्यापक नियुक्ति का कार्य पंचायती राज नियमों के तहत किया जाता है। नियुक्ति का अनुमोदन जिला परिषदों की स्थापना समिति की ओर से होता है।
शिक्षा विभाग केवल प्लेस ऑफ पोस्टिंग का कार्य करता है। इसी क्रम में दो वर्ष प्रोबेशन पूर्ण करने के बाद फिर पंचायती राज विभाग के नियमों के अनुसार जिला परिषद की स्थापना समिति द्वारा इनका स्थायीकरण एवं नियमितीकरण का अनुमोदन किया जाता है। अनुमोदन के बाद डीईओ एलीमेंट्री इनके आदेश जारी कर इन्हें पद का पूरा वेतन देना शुरू करेंगे।
प्रोबेशन में मिल रह 23,700 रुपए मानदेय स्थायीकरण के बाद मिलेंगे 42,250 रुपए
शिक्षा विभाग में तृतीय श्रेणी नियुक्ति के बाद दो वर्ष प्रोबेशन में 23700 प्रति माह फिक्स मानदेय मिलता है। इस पर अन्य कोई लाभ दय नहीं होते हैं। प्रोबेशन पूरा होने पर इनका मूल वेतन 33800 इस पर 17% दिए और 8% मकान किराया भत्ता मिलाकर शिक्षक को 42250 प्रति माह मिलने चाहिए। जिसमें विलम्ब हो रहा है।
शिक्षा निदेशक ने दिए निर्देश : प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर द्वारा अगस्त 2020 में ही सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि प्रोबेशन पूरा होते ही अध्यापक के आवेदन एकत्रित कर जिला परिषद से अनुमोदन करवा कर अपने स्तर पर नियमितीकरण एवं पूरा वेतन देने के आदेश जारी किए जाएं।
यह है नियमों की उलझन
एक्सपर्ट का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा प्रारंभिक शिक्षा पंचायती राज को सुपुर्द करने की आज्ञा में स्पष्ट उल्लेख है कि अध्यापक पदों पर नियुक्ति पंचायती राज नियमों के तहत होगी। इसके बाद समस्त सेवा संबंधी कार्य उनके मूल विभाग अर्थात शिक्षा विभाग द्वारा संपन्न किए जाएंगे। इस आज्ञा के तहत नियुक्ति के बाद नियमितीकरण का कार्य शिक्षा विभाग द्वारा किया जाना चाहिए। लेकिन राजस्थान रूल्स ऑफ बिजनेस के तहत समय पर संशोधन नहीं होने के कारण आज भी शिक्षकों को शिक्षा विभाग में दो वर्ष प्रोबेशन पूरा करने के बाद भी नियमितीकरण के लिए जिला परिषदों की ओर देखना पड़ता है।
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