राज्य के सरकारी स्कूल्स में अगले महीने से हाफ इयरली एग्जाम शुरू होने वाले हैं लेकिन पांच सौ से ज्यादा स्कूलों में करीब दो हजार टीचर्स के पद ही खाली पड़े हैं। ऐसे में कई विषयों की तो पढ़ाई ही शुरू नहीं हो सकी है। खास बात ये है कि इसके बाद आठवीं और पांचवीं बोर्ड के एग्जाम भी होने हैं। शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला इसी जिले में बीकानेर पश्चिम से विधायक हैं। शिक्षा निदेशालय में ही बड़ी संख्या में प्रदेशभर के टीचर्स डेपुटेशन पर सिर्फ हाजिरी लगा रहे हैं।
बीकानेर में इस समय 485 स्कूल है, जिसमें पढ़ाने वाले टीचर्स के 9 हजार 441 पद स्वीकृत है। इनमें एक हजार 775 टीचर्स की पोस्ट खाली पड़ी है। विभाग के पास 71 स्कूलों में टीचर्स है या नहीं, इसकी रिपोर्ट ही नहीं है। ऐसे में दो हजार से ज्यादा टीचर्स की पोस्ट खाली होने की आशंका जताई जा रही है। क्लास छह से दस में सब्जेक्ट टीचर्स की सबसे ज्यादा कमी है। यहां टीचर्स नहीं होने से स्टूडेंट्स की सब्जेक्ट स्टेडी नहीं हो रही है। वहीं सीनियर सैकंडरी स्कूल्स में लेक्चरर की कमी भी है।
शहरी क्षेत्र में टीचर्स के पद कम खाली है जबकि गांवों में बड़ी संख्या टीचर्स नहीं है। सबसे ज्यादा कमी बीकानेर तहसील के टीचर्स में है। बीकानेर ब्लॉक में टीचर्स के 313 पद खाली है। वहीं खाजूवाला में 301, श्रीकोलायत में 254, लूणकरनसर में 290, नोखा में 195, पांचू में 164, श्रीडूंगरगढ़ में 248 पद खाली पड़े हैं। दरअसल, खाजूवाला और श्रीडूंगरगढ़ में सबसे ज्यादा दूरी है। ऐसे में टीचर्स वहां काम करने के बजाय शहर में या निकटवर्ती स्थानों पर ट्रांसफर करवा लेते हैं।
निदेशालय में ही डेपुटेशन
जिस शिक्षा निदेशालय में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था सुधारने का जिम्मा है, वहीं पर बड़ी संख्या में टीचर्स के डेपुटेशन है। शिक्षा विभागीय पंजीयक कार्यालय में तो प्रदेशभर से टीचर्स को डेपुटेशन पर लगा रखा है। वहीं शिक्षा निदेशालय के अनेक सेक्शन में जरूरत नहीं होते हुए भी टीचर्स को डेपुटेशन पर लगाया गया है। ऐसे टीचर्स दूरस्थ स्कूल में पढ़ाने के बजाय यहां सिर्फ अटेंडेंस लगाने के लिए आते हैं। जिला शिक्षा अधिकारी और ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालयों में भी बड़ी संख्या में लोग डेपुटेशन पर है।
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