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कलेक्टर कार्यालय की पार्किंग के पास खुले चैंबर गुरुवार को दिनभर चर्चा रही। वजह-बुधवार रात 10 बजे इस खुले चैंबर में गांधी काॅलाेनी में रहने वाले बुजुर्ग उदयभान (60) स्कूटी लेकर गिर गया। बुजुर्ग के 10 दांत और आंख के ऊपर 15 टांके आए। हालत नाजुक है। पीबीएम ट्रोमा सेंटर के आईसीयू में भर्ती हैं।
शहर में खुले चैंबर में गिरकर घायल होने वालों में उदयभान एक उदाहरण मात्र हैं। पिछले दो सालों में ऐसे खुले चैंबरों में गिरकर 24 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। शहर के 80 वार्डों में सीवरेज के 150 चैंबर और 200 नालों के ढक्कन खुले पड़े हैं। इन्हें ढकने में निगम और यूआईटी का 10 लाख से ज्यादा खर्च नहीं आएगा, फिर भी इस गंभीर मुद्दे पर जिम्मेदार विभाग और अफसर खामोश बैठे हैं।
सड़कों पर निगम, यूआईटी और सानिवि ने एक साल में खर्चे 20 करोड़
शहर की सड़कों पर पैचवर्क और अन्य काम के लिए नगर निगम, यूआईटी और पीडब्ल्यूडी ने पिछले साल 20 करोड़ खर्च कर दिए, लेकिन नालों और सीवरेज चैंबर के ढक्कन लगाने का काम प्रस्तावों में ही अटका है। निगम ने 80 वार्डों में प्रत्येक पर सड़क और नालियों के लिए 20-20 लाख रुपए मंजूर किए हैं। सानिवि ने शहरी क्षेत्र की 400 किमी सड़कों पर पैचवर्क पर 45 लाख रुपए खर्च किए। वहीं यूआईटी ने भी सड़कों और नालों तीन करोड़ रुपए खर्च किए।
हीरालाल माॅल के पास छह माह से टूटा है नाले का चैम्बर
डाक बंगला और हीरालाल माॅल के बीच की रोड पर बना नाले का चैंबर पिछले छह माह से खुला पड़ा है। यहां से हर दिन तकरीबन 25 से 28 हजार लोग निकलते हैं। वहीं शहर की बड़े माल, बीकानेर रेलवे स्टेशन, रानीबाजार औद्योगिक क्षेत्र, गंगाशहर-भीनासर सहित आसपास के क्षेत्राें के लाेगाें की आवाजाही लगी रहती है। वहीं बीकानेर शहर के बाहर से अाने वाले लाेगाें में भी अाधे इसी रास्ते से निकलते हैं। इस नाले के चैंबर काे ठीक कराने का खर्च भी 20 हजार रुपए है लेकिन फिर भी यूआईटी प्रशासन इसमें कोई रुचि नहीं दिखा रहा।
यूआईटी एसई भंवरू खां के पास है इस इलाके की जिम्मेदारी
लोग ले गए नालों के ढक्कन, अफसरों को नए लगाने की फुर्सत तक नहीं
शहर में कई जगह नालों के चैंबर के ढक्कन इसलिए खुले पड़े हैं क्योंकि उनके ढक्कन लोग ले गए। कारण, सफाई के बाद कर्मचारी इन्हें ढकते ही नहीं हैं। नगर निगम के हेल्थ ऑफिसर ओमप्रकाश जावा और सीवरेज का काम संभालने वाले ज्ञानप्रकाश बारासा इसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। वे सफाई कर्मचारियों को इस बात के लिए पाबंद करते हैं कि वे ढक्कन जरूर लगाएं। उनको तो नियम बना देना चाहिए कि अगर कोई सफाईकर्मी नाले को खुला छोड़ता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। अफसरों को इतनी फुर्सत नहीं है कि वे इन नालों पर नए ढक्कन लगवा दें।
कलेक्टर जिस बिल्डिंग में बैठते हैं, उसके ठीक सामने 5 साल से खुला पड़ा है चैंबर
कलेक्टर ऑफिस से 10 कदम की दूरी पर यह नाला खुला पड़ा है। यहां से हर दिन 50 हजार लोग गुजरते हैं। पिछले 5 सालों से इसे इसलिए खुला छोड़ा गया है ताकि बारिश के दिनों में पानी की निकासी में आसानी हो। गुरुवार को निगम प्रशासन ने इस नाले की फेंसिंग करवाने और यूआईटी ने पार्किंग स्थल के ऊपर लाइट की व्यवस्था करने का निर्णय लिया है।
सर्वोदय बस्ती रोड पर 6 माह से खुला है चैम्बर
पंडित धर्मकांटे से सर्वोदय बस्ती के मुख्य मार्ग होते हुए मुक्ताप्रसाद जाने वाली इस रोड पर सड़क के बीचोबीच नाले के ढक्कन खुले पड़े हैं। इन ढक्कनों को सही करवाने में महज एक लाख खर्च होंगे लेकिन यूआईटी के अधिकारी पिछले छह महीनों से इन ओर ध्यान ही नहीं दे रहे। निगम प्रशासन ने नाले की जेसीबी से सफाई करवाई जिसके कारण ढक्कन टूट गया।
होटल ढोला मारु से मेडिकल कॉलेज चौराहे तक
यूआईटी के हिस्से में आने वाले इस रास्ते पर नालों और सीवरेज के करीब 12 ढक्कन खुले पड़े हैं जबकि इस रास्ते से शहर के अधिकांश डॉक्टर, वकील, प्रशासनिक अधिकारी निकलते हैं। इस रास्ते से हर दिन तकरीबन 20 हजार लोग निकलते हैं। यूआईटी ने करीब 4 लाख रुपए के प्रस्ताव भी बनवा लिए लेकिन काम आज तक शुरू नहीं करवा पाए।
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