प्रदेश के सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों के सिलेबस की किताबें आमतौर पर कॉलेज लेक्चरर्स लिख रहे हैं जबकि उन्हें पढ़ाने वाले टीचर्स अलग है। अब शिक्षा विभाग का प्रयास है कि स्कूल की किताब स्कूल का टीचर ही लिखेगा ताकि वो स्टूडेंट्स की मनोदशा के हिसाब से ही व्याख्या कर सके। इस दिशा में पहला कदम बढ़ाते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में सोमवार को उच्च स्तर की एक बैठक भी आयोजित हुई।
वर्तमान में राजस्थान में स्कूली किताबें लिखने का जिम्मा राज्य शैक्षिक प्रशिक्षण अनुसंधान परिषद (SIERT) के पास है। बच्चों के लिए उपलब्ध कराई जा रही निशुल्क पुस्तकें भी SIERT ही तय करता है। जिसका प्रकाशन बाद में राजस्थान पाठ्यपुस्तक मंडल करता है। यह व्यवस्था पहले की तरह बनी रहेगी लेकिन पुस्तकों में लेखकों के चयन में शिक्षा निदेशालय का प्रभाव रहेगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी के आदेश पर निदेशालय के आला अधिकारियों ने SIERT, प्रारम्भिक शिक्षा के अधिकारियों व माध्यमिक शिक्षा के अधिकारियों की बैठक हुई। इसके साथ ही उन शिक्षकों को भी बैठक में बुलाया गया, जो स्कूल में पढ़ाने का काम कर रहे हैं।इस दौरान विद्यार्थियों की दक्षता को पहचानने के नए तरीकों पर विचार किया गया।
कोरोना नुकसान की भरपाई
इस बैठक में कोरोना के कारण स्टूडेंट्स को हुए नुकसान पर भी चर्चा की गई। यह तय किया गया कि नए पाठ्यक्रम में बच्चों को पिछले वर्ष के पाठ्यक्रम का कुछ हिस्सा भी शामिल किया जायेगा। यह सिर्फ इस सत्र के लिए होगा, जब पिछले पाठ्यक्रम को फिर से पढ़ाया जायेगा। अभी यह तय नहीं है कि यह मूल किताब में परिवर्तन होगा या फिर अलग से काेई किताब तैयार होगी।
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