दो साल पहले जब शहर में घर-घर कचरा कलेक्शन हाेना शुरू हुआ ताे टिपर का समय, वाहन नंबर और वार्ड नंबर से टिपर आबंटित किए थे मगर बीते एक साल से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का पूरा सिस्टम गड़बड़ाने लगा। हाल के तीन-चार महीने से कई वार्डों से टिपर गायब हो चुके हैं। रविवार को भी कचरा कलेक्शन के आदेश हो गए फिर भी अधिकांश वार्डाें में टिपर नहीं पहुंच रहे। होली जैसे त्यौहार पर शहर में एक चौथाई वार्डाें में टिपर नहीं गए। फर्म का तर्क कि टिपर खराब पड़े हैं।
टिपर की सच्चाई पार्षदों के साेशल मीडिया ग्रुप में सामने आ रही है। वार्ड 66 से आवंटित एक टिपर लंबे समय से रामपुरा और मुक्ताप्रसाद इलाके के पांच वार्डाें का अकेले कचरा कलेक्शन कर रहा है। कुछ वार्डऐसे हैं जहां सप्ताह में एक से दाे दिन ही टिपर आता है। जो पार्षद विरोध करे उनके वार्ड में भेज दिया जाता है फिर दूसरे वार्डाें से गायब हो जाते हैं। होली के बाद से कई टिपर खराब पड़े हैं।ऐसा कोई वार्ड नहीं जहां नियमित टिपर पहुंच रहे हों। बीच-बीच में गाड़ियां गायब हाे रही हैं।
पार्षद जब टिपर वाली फर्म के सुपरवाइजर से बात करते हैं तो जवाब मिलता है, गाड़ी खराब है लेकिन हकीकत ये है कि बिल का भुगतान नहीं होने के कारण फर्म ने शहर से टिपर कम कर दिए हैं। जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। जबकि फर्म काे भुगतान यूजर चार्ज वसूल कर किया जाना था। यूजर चार्ज वसूलने की जिम्मेदारी भी फर्म की थी, जाे नहीं उठाई गई। निगम ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया। अब हालात ये हैं कि लोग घर का कचरा मोहल्ले में ही फेंकने लगे हैं। चिंता की बात ये है कि मोहल्ले के कचरा पॉइंट से इन दिनों ट्रेक्टर भी कम ही कचरा उठा रहे हैं।
टिपर की लोकेशन ट्रेस करने के लिए जीपीएस भी फेलनगर निगम और फर्म के बीच तीन साल का एमओयू 34 करोड़ का हुआ था। कचरा उठाने पर हर महीने करीब एक से सवा करोड़ रुपए का खर्च आता है। हालांकि कई बार जुर्माना लगकर बैलेंस शीट एक करोड़ तक भी नहीं पहुंचती। शहर में 80 वार्ड हैं। जीपीएस सिस्टम लगाकर टिपर का पता लगाना था कि वाहन कब वार्ड में आए कब नहीं। कई बार ताे जीपीएस सिस्टम काे चकमा देने के लिए वाहन वार्ड में आते हैं लेकिन एक जगह खड़े रहते हैं। शाम काे अक्सर सड़क से कचरा उठाते हैं जबकि सड़क से कचरा उठाने के लिए ट्रेक्टर लगे हुए हैं।
टिपर वार्ड में नहीं पहुंचने की शिकायतें आ रही हैं। हमने फर्म का पांच महीने का बिल का भी भुगतान किया है। जुर्माना भी लगाया। एमओयू का अंतिम समय है तो ढिलाई कुछ ज्यादा बरती जा रही है। मुझे खबर लगी कि फर्म ने शहर से टिपर भी कम कर दिए हैं। जल्दी ही कार्रवाई की जाएगी। - गाेपालराम विरदा, आयुक्त नगर निगम
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