हिमाचल में बारिश और बादल फटने जैसी घटनाओं के बाद रावी और ब्यास नदियों में पानी आया तो राजस्थान के किसान की उम्मीद जगी है कि सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। इसके विपरीत पोंग डेम के किसान अभी तक पानी को तरस रहे हैं तो भाखड़ा और रणजीतसागर बांध से जुड़े किसानों को भी उम्मीद से कम पानी ही मिल रहा है। हिस्से से कम पानी ले रहा राजस्थान अपने हक के लिए लड़ भी नहीं पा रहा है।
रावी और ब्यास नदियों से मिलने वाले पानी में राजस्थान का हिस्सा 52 प्रतिशत है लेकिन तीस से चालीस प्रतिशत से अधिक पानी नहीं मिल रहा। हालात ये है कि राजस्थान के ग्यारह जिलों में किसान सिंचाई के पानी का इंतजार कर रहा है। ब्यास नदी पर पोंगडेम में 1400 फीट तक पानी भरा जाता है। इसकी क्षमता 06.690 एमएएफ है। यहां बुधवार को सुबह छह बजे जल स्तर 1293.53 फीट था। जब तक इस बांध में 1310 फीट का जल स्तर नहीं होगा, तब तक किसान को सिंचाई के लिए पानी नहीं दिया जायेगा। इसी तरह सतलुज नदी पर बने भाखड़ा डेम भी क्षमता के आसपास भर चुका है। यहां अभी इस डेम की भराव केपेसिटी 1690 फीट है जबकि डेंम में 1545.92 फीट पानी ही है। दरअसल, यह पानी पिछले साल की तुलना में करीब पचास फीट कम है। रावी नदी पर रणजीतसागर बांध (थीन डेम) में पूर्ण भराव 1731.54 फीट है जबकि बुधवार सुबह यहां 1637.38 फीट पानी ही था। पिछले साल इसी दिन लेवल 1677.8 फीट पानी था। लोहगढ़ हैड (आर.डी 496) से राजस्थान सीमा पर इंदिरा गांधी फीडर को दोपहर 2 बजर 45 मिनट पर 6216 क्यूसेक डेज पानी मिल रहा था |
इन जिलों में संकट
अगर इंदिरा गांधी नहर में अगले कुछ दिनों में पानी नहीं आया तो बीकानेर के अलावा श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, जोधपुर, जैसलमेर, बाडमेर सहित पश्चिमी राजस्थान के कई जिलों में किसानों की फसल बर्बाद हो जायेगी।
बीकानेर में बारिश से उम्मीद
इस अच्छे मानसून की उम्मीद की जा रही थी। ऐसे में एक बार फिर जमकर बारिश की जरूरत है। पिछले दो दिन में नोखा सहित कई क्षेत्रों में बारिश हुई है लेकिन अभी भी जरूरत से कम बारिश है।
बारिश का क्षेत्र | इतनी बारिश हुई (MM में) |
बीकानेर | 82.0 |
छत्तरगढ़ | 66 |
बज्जू | 92 |
छत्तरगढ़ | 66 |
डूंगरगढ़ | 39 |
खाजूवाला | 53 |
कोलायत | 138 |
लूणकरनसर | 97 |
नोखा | 106 |
पूगल | 148 |
पानी के इंतजार पर सवाल
उधर, इंदिरा गांधी नहर के चीफ इंजीनियर विनोद मित्तल का कहना है कि पोंग बांध का जल स्तर बढ़ने से पेयजल संकट तो टल गया है। पोंग का जल स्तर 1310 होने के बाद सिंचाई के लिए पानी की मांग की जायेगी। उधर, नहर विशेषज्ञ नरेंद्र आर्य का कहना है कि अगर पानी का इंतजार किया जाएगा तो किसान की फसल बर्बाद हो जायेगी। नहर प्रबंधन को चाहिए कि समय पर किसान को पानी दें ताकि बुवाई और सिंचाई समय पर हो सके।
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