इंटरनेशल ऊंट उत्सव का समापन रविवार को हो गया। तीन दिन चले इस उत्सव में रविवार को आखिरी दिन रायसर के रेतीले धोरों पर रंगारंग सांस्कृतिक आयोजन और खेलकूद प्रतियोगिताएं हुईं। सिद्ध समाज के लोगों ने धोरों पर अंगारों के बीच अग्नि नृत्य किया।
इस दौरान अर्जेंटीना के कपल ने हिंदू रीति-रिवाजों से सात फेरे लिए। वहीं, पद्मश्री अनवर खान के सुरों पर विदेशी पर्यटक भी झूम उठे। स्थानीय पर्यटकों ने इस आयोजन का सबसे ज्यादा लुत्फ उठाया।
ऊंट उत्सव में रायसर की धोरों में देशी-विदेशी पर्यटकों का हुजूम रहा। तीसरे दिन के कार्यक्रमों में पहलवानों ने रेत के बीच कुश्ती के दांव-पेंच दिखाए। पुरुष वर्ग में राजस्थान पुलिस और रायसर के बीच कबड्डी का मुकाबला हुआ। इसे राजस्थान पुलिस ने जीता।
महिला कबड्डी आंबेडकर सर्किल और राजस्थान पुलिस के बीच खेली गई। आंबेडकर सर्किल टीम ने इसमें विजय हासिल की। मटका दौड़ प्रतियोगिता में राजस्थान पुलिस की राजेश्वरी ज्याणी ने पहला स्थान प्राप्त किया। एकता चौधरी और कमला चौधरी दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे। देशी-विदेशी पर्यटकों के बीच रस्साकशी की प्रतियोगिता भी हुई।
वहीं, अर्जेंटीना के युगल ने भारतीय रीति-रिवाजों के साथ शादी की। शादी की सभी परंपराएं निभाईं। हॉट एयर बैलून भी दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रहा। पर्यटकों ने धोरों पर दौड़ लगाई। सांस्कृतिक संध्या में पद्मश्री अनवर खान ने ‘धरती धोरा री’ गीत के साथ की तो वहां मौजूद पर्यटक झूम उठे। उन्होंने निंबूड़ा और यार मेरी सहित एक से एक बढ़कर एक बेहतर गीत प्रस्तुत किए।
मशहूर लोकगायिका उषा शर्मा ने गीत प्रस्तुत किए। इससे पहले जसनाथ संप्रदाय के कतरियासर धाम के महंत मोहन नाथ सिद्ध के सानिध्य में धधकते अंगारों पर अग्नि नृत्य किया। दीपवाली के अवसर पर बारहगुवाड़ में होने वाले बन्नाटी खेल की बेहतरीन प्रस्तुति दी गई। शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला, अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास आयोग के अध्यक्ष पवन गोदारा, आईजी ओमप्रकाश, कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन ज्योति प्रकाश रंगा, संजय पुरोहित, कन्हैया लाल, हसन खान और किशोर सिंह राजपुरोहित ने किया।
बता दें कि इंटरनेशल ऊंट फेस्टिवल राजस्थान का आयोजन पर्यटन विभाग करता है। रेगिस्तान के जहाज कहे जाने वाले ऊंट के संरक्षण का मैसेज देने के लिए इस फेस्टिवल को 1995 में शुरू किया गया था। पिछले दो साल से कोरोना के कारण मेले का आयोजन नहीं हो पाया था।
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एक पुरानी कहावत है- ऊंट के मुंह में जीरा, लेकिन ये कहावत बीकानेर के इन ऊंटों के लिए नहीं है।
क्योंकि इन ऊंटों के मुंह में रोज होता है 4 किलो दूध, 250 ग्राम घी और बादाम के लड्डू।
अच्छी खासी खुराक के बाद इन ऊंटों को रोज 1 किलोमीटर दौड़ाया जाता है, वो भी 60 किमी की स्पीड से। बीकानेर कैमल फेस्टिवल में होने वाली दौड़ के लिए 1 महीने से इन ऊंटों को तैयार किया जा रहा है। कैमल फेस्टिवल में ऊंट 1 मिनट खाट पर भी डांस करते हैं, जिसके लिए उन्हें 1 साल प्रैक्टिस कराई जाती है। इस एक मिनट के शो को देश-विदेश से हजारों लोग देखने आते हैं। (पूरी खबर पढ़ें)
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बीकानेर के पास बना नाल गांव। यहां इन दिनों एक जापानी लड़की को देख लोग हैरान हो रहे हैं। पिछले एक महीने से टोक्यो (जापान) की ये लड़की दिनभर गांव में ऊंटों के बीच रह रही है। राधा-कृष्ण से इतना प्रेम है कि कैमल फेस्टिवल के लिए अपने ऊंट को सजाते हुए उनकी ही आर्ट को उकेरा है। (पूरी खबर पढ़ें)
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