स्मार्ट सिटी के लिए 250 कराेड़ के काम होने हैं, 8 माह बाद भी बजट नहीं, जबकि मीटिंग भी हो चुकी
बीकानेर को स्मार्ट बनाने के लिए 250 करोड़ रुपए के काम करने हैं। प्रशासन ने इसके प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेज रखे हैं, लेकिन घोषणा के आठ माह बाद भी एक रुपए का बजट नहीं मिला है। अगले साल विधानसभा चुनाव है और उससे पहले आचार संहिता लग जाएगी। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि बीकानेर स्मार्ट सिटी बन पाएगा या नहीं।
सीएम अशोक गहलोत ने अपने 14वें बजट में बीकानेर सहित जोधपुर, भरतपुर, अलवर, भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की थी। उसके बाद बीकानेर की जनता को उम्मीद जगी कि शहर की सबसे बड़ी कोटगेट पर रेलवे फाटकों की समस्या, पुराने ड्रेनेज-सीवरेज सिस्टम, बाजारों में पार्किंग जैसी प्रमुख समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा।
प्रशासन ने आने वाले 30 सालों को ध्यान में रखते हुए यूआईटी, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी व अन्य सरकारी एजेंसियों से ऐसी बड़ी समस्याओं सहित शहर के सौन्दर्यकरण, विकास और जनहित के कार्यों के प्रस्ताव तैयार कराए और सरकार को भेज दिए। लेकिन, सीएम घोषणा के आठ माह बाद भी स्मार्ट सिटी के लिए एक रुपए का बजट नहीं मिला है। इससे शहर को स्मार्ट बनाने और जनता की उम्मीदें धूमिल होने लगी हैं। कांग्रेस सरकार के चार साल पूरे हो गए हैं और अगले साल विधानसभा चुनाव होंगे।
ये 9 बड़े काम होने के बाद बन सकेगा बीकानेर स्मार्ट सिटी
सबसे ज्यादा 100 करोड़ सीवरेज सिस्टम पर खर्च होंगे : प्रशासन की ओर से स्मार्ट सिटी के लिए तैयार प्रस्तावों में सबसे ज्यादा 100 करोड़ रुपए शहरी परकोटे में सीवरेज सिस्टम डालने पर खर्च करने का प्रस्ताव है। पुराने ड्रेनेज सिस्टम को 87 करोड़ रुपए की लागत से बदलने, मल्टीलेवल पार्किंग पर 30 करोड़ रुपए खर्च करने, बिना रुकावट के फुटपाथ तैयार करने, ट्रैफिक और पर्यटन के डिजिटल व स्पेशल डिजाइन साइनेज व स्मार्ट शौचालय पर 10-10 करोड़, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर दो करोड़ और शहर में साइनेज व मार्किंग पर एक करोड़ रुपए खर्च करने के प्रस्ताव हैं।
यूडीएच प्रिंसिपल सेक्रेट्री ने अक्टूबर में 6 जिलों के यूआईटी सचिव को जयपुर बुलाकर मीटिंग ली थी जिसमें स्मार्ट सिटी के लिए होने वाले काम और बजट पर चर्चा की गई। सरकार से बजट मिलने पर काम शुरू होंगे। -यशपाल आहूजा, नोडल एजेंसी यूआईटी के सचिव
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