4 किलो दूध, बादाम खाकर रेस के लिए तैयार ऊंट:60 km की रफ्तार से दौड़ते हैं, एक मिनट के शो के लिए सालभर होती ट्रेनिंग

बीकानेर5 महीने पहलेलेखक: अनुराग हर्ष
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एक पुरानी कहावत है- ऊंट के मुंह में जीरा, लेकिन ये कहावत बीकानेर के इन ऊंटों के लिए नहीं है।

क्योंकि इन ऊंटों के मुंह में रोज होता है 4 किलो दूध, 250 ग्राम घी और बादाम के लड्‌डू।

अच्छी खासी खुराक के बाद इन ऊंटों को रोज 1 किलोमीटर दौड़ाया जाता है, वो भी 60 किमी की स्पीड से। बीकानेर कैमल फेस्टिवल में होने वाली दौड़ के लिए 1 महीने से इन ऊंटों को तैयार किया जा रहा है। कैमल फेस्टिवल में ऊंट 1 मिनट खाट पर भी डांस करते हैं, जिसके लिए उन्हें 1 साल प्रैक्टिस कराई जाती है। इस एक मिनट के शो को देश-विदेश से हजारों लोग देखने आते हैं।

दरअसल, बीकानेर में हर साल होने वाले कैमल फेस्टिवल का सबसे रोमांचक इवेंट 'ऊंटों की दौड़' है। जो आज से शुरू हो रहा है। महज कुछ सेकेंड्स की इस दौड़ को देखने के लिए विदेशी सैलानी हजारों किलोमीटर की यात्रा करके बीकानेर पहुंचते हैं। वहीं, लोगों के रोमांच के लिए ऊंटों को भी खास ट्रेनिंग दी जा रही है। इस बार भी पंद्रह से ज्यादा ऊंट इस दौड़ में होंगे।

इंटरनेशल ऊंट फेस्टिवल राजस्थान का आयोजन पर्यटन विभाग करता है। रेगिस्तान के जहाज कहे जाने वाले ऊंट के संरक्षण का मैसेज देने के लिए इस फेस्टिवल को 1995 में शुरू किया गया था। पिछले दो साल से कोरोना के कारण मेले का आयोजन नहीं हो पाया था। खास बात यह है कि इस एक मिनट की रेस देखने के लिए आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या भी हजारों में होती है।

सबसे पहले देखिए दौड़ के लिए कैसे तैयार होते हैं ऊंट...

ऊंट को घर और ग्राउंड में रोज दौड़ाकर रेस के लिए तैयार किया जाता है।
ऊंट को घर और ग्राउंड में रोज दौड़ाकर रेस के लिए तैयार किया जाता है।
ऊंट को फेस्टिवल के लिए रोज बाल्टी से दूध पिलाया जा रहा।
ऊंट को फेस्टिवल के लिए रोज बाल्टी से दूध पिलाया जा रहा।
दूध के साथ ऊंट को गुड़ और बादाम से बने लड्डू भी खिलाए जा रहे हैं।
दूध के साथ ऊंट को गुड़ और बादाम से बने लड्डू भी खिलाए जा रहे हैं।

भास्कर भी उस गांव में पहुंचा, जहां इस ऊंट को तैयार किया जा रहा...

बीकानेर से करीब तीस किलाेमीटर दूर अक्कासर गांव में रामलाल कूकणा भी अपने ऊंट को कैमल फेस्टिवल के लिए तैयार कर रहे हैं। रामलाल का ऊंट पिछले कई सालों से रेस में हिस्सा ले रहा है। जीत भी रहा है। वो बताते हैं कि सामान्य ऊंट रेस में नहीं दौड़ सकता। इसके लिए रेस से कई महीने पहले ऊंट को खास डाइट और ट्रेनिंग के साथ तैयार करना पड़ता है। उसे खास चारा देना होता है, दूध पिलाना पड़ता है।

रोज की डाइट 4 किलो दूध, 250 ग्राम घी
आमतौर पर ऊंट आठ क्विंटल बोझा ढो लेते हैं, लेकिन रेस के ऊंटों को इससे दूर रखा जाता है। ऊंट पालकों का मानना है कि अगर ऊंट भार ढ़ोता है तो छलांग नहीं मार सकता। छलांग मारते हुए भागने वाला ऊंट ही रेस जीत सकता है। ऊंट को सामान्य व मजबूत रखने के लिए विशेष डाइट दी जाती है। उसे रोज गाय का 4 किलो दूध और ढाई सौ ग्राम घी मिलाकर पिलाया जाता है।

खाता है बादाम के लड्डू
रामलाल बताते हैं कि ऊंट को रोज गुड़ और बादाम के लड्डू खिलाए जाते हैं। इससे शरीर में कसावट नहीं आती। शरीर ढीला रहेगा तो अच्छा दौड़ सकेगा। जैसे-जैसे दौड़ नजदीक आती है, वैसे-वैसे ड्राई फ्रूट्स की संख्या बढ़ा दी जाती है। गुड़ में दूध व बादाम डालकर इसे लड्‌डू की तरह बांध लिया जाता है। ऊंट भी बड़े चाव से खाते हैं। दूध पिलाने के लिए ऊंट का मुंह खोलकर उसमें बाल्टी से दूध डालना पड़ता है।

ऊंट को रोज दौड़ाने के लिए ग्राउंड में लेकर जाते हैं। यहां एक किलोमीटर तक दौड़ाया जाता है।
ऊंट को रोज दौड़ाने के लिए ग्राउंड में लेकर जाते हैं। यहां एक किलोमीटर तक दौड़ाया जाता है।

रोज एक किलाेमीटर चक्कर
रेस नजदीक होने पर ऊंट को रोज एक किलोमीटर दौड़ाना पड़ता है। करीब एक महीने तक रोज एक किलोमीटर दौड़ाने से उसकी गति बनती है। आमतौर पर ऊंट तीस से चालीस किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ लेता है, लेकिन रेस के ऊंट को साठ किलोमीटर की स्पीड लेनी पड़ती है। पचास किलोमीटर की स्पीड से दौड़ने वाले ऊंट को ही रेस में शामिल किया जाता है।

फेस्टिवल के लिए ऊंट को सजाया भी जाता है। इसके बालों पर अलग-अलग आर्ट बनाई जाती है।
फेस्टिवल के लिए ऊंट को सजाया भी जाता है। इसके बालों पर अलग-अलग आर्ट बनाई जाती है।

महंगा होता है रेस का ऊंट
आमतौर पर ऊंट की कीमत बीस हजार रुपए तक है, लेकिन रेस के लिए तैयार ऊंट की कीमत पचास हजार रुपए से अधिक होती है। सबसे तेज भागने वाले ऊंट एक-एक लाख रुपए में भी बिकते हैं। हालांकि इसके खरीदार बहुत कम हैं।

ऊंट दौड़ में जीतने वाले को ग्यारह हजार रुपए तक का पुरस्कार मिलता है। ऊंट रेस के लिए सालभर तैयारी करने वाले ऊंट पालक को कोई खास लाभ नहीं होता। आमतौर पर परिवार की परंपरा को निभाने के लिए ऊंट तैयार करते हैं। कई बार रेस वाले ऊंट ही करतब के लिए तैयार किए जाते हैं, जो शादियों में काम आते हैं। थोड़ी इनकम हो जाती है।

ऊंट फेस्टिवल में लगातार कम हो रही संख्या। पहले 30 ऊंट आते थे। अब मुश्किल से 15 आते हैं।
ऊंट फेस्टिवल में लगातार कम हो रही संख्या। पहले 30 ऊंट आते थे। अब मुश्किल से 15 आते हैं।

पहले से घटी है संख्या
रामलाल का कहना है कि आज से दस साल पहले ऊंट उत्सव में तीस से ज्यादा ऊंट दौड़ते थे, लेकिन अब ये संख्या महज दस से पंद्रह तक रह गई है। दौड़ के लिए ऊंट को तैयार करना मुश्किल है। इसके लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। एक सामान्य पहलवान की तरह खुराक देना हर पशुपालक के लिए संभव नहीं है। ये शौक है, जिसे पूरा करना मुश्किल है।

फेस्टिवल के दिन ही अलग-अलग कॉम्पिटिशन के लए ऊंटों को सजाया जाता है।
फेस्टिवल के दिन ही अलग-अलग कॉम्पिटिशन के लए ऊंटों को सजाया जाता है।

इस बार 14 जनवरी को ऊंट दौड़
कैमल फेस्टिवल में इस बार 14 जनवरी को नेशनल कैमल रिसर्च सेंटर पर ऊंटों की दौड़ होगी। पिछली बार भी यहीं पर ऊंटों की रेस हुई थी। कैमल रिसर्च सेंट के पीछे बने मैदान पर ये दौड़ होगी। जिसके लिए अब तक दस से ज्यादा ऊंट पालकों ने अपनी एंट्री दी है, जिसमें और बढ़ोतरी हो सकती है।

खाट पर खड़े होकर डांस करने के लिए सालभर तक होती है ट्रेनिंग।
खाट पर खड़े होकर डांस करने के लिए सालभर तक होती है ट्रेनिंग।

चंद मिनट के डांस के लिए साल भर होती है ट्रेनिंग
ऊंट उत्सव में ऊंटों की दौड़ के अलावा कई तरह के करतब भी दिखाते हैं। इसके लिए भी खास ट्रेनिंग देनी पड़ती है। ढोल और ताशों के साथ ऊंट नाचते हैं। आग के साथ भी कई तरह के करतब दिखाते हैं। इसके लिए ऊंट को वयस्क होने के बाद तैयार किया जाता है। एक ऊंट को चंद मिनट के शो के लिए तैयार करने में साल भर तक लग जाता है। पहले उसे मालिक के इशारों पर नाचना सिखाया जाता है। फिर खाट पर खड़ा होना। इसके बाद खाट पर बैलेंस बनाकर नाचना। बीकानेर के रायसर, पूगल, अक्कासर सहित कई गांवों में ऊंटों को तैयार किया जाता है।

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बीकानेर के पास बना नाल गांव। यहां इन दिनों एक जापानी लड़की को देख लोग हैरान हो रहे हैं। पिछले एक महीने से टोक्यो (जापान) की ये लड़की दिनभर गांव में ऊंटों के बीच रह रही है। राधा-कृष्ण से इतना प्रेम है कि कैमल फेस्टिवल के लिए अपने ऊंट को सजाते हुए उनकी ही आर्ट को उकेरा है। (पूरी खबर पढ़ें)

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