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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार को राज्य का बजट पेश करेंगे। प्रदेश में शिक्षा की बात करें तो 20 हजार स्कूल ऐसे हैं, जहां आज भी बिजली नहीं पहुंची है। गांव-ढाणी के इन स्कूलों में बच्चों को गर्मी में बिना बिजली के ही पढ़ना पढ़ रहा है। उधर, प्रदेश के शहरी क्षेत्र में 750 स्कूल ऐसे हैं, जो किराये की बिल्डिंग में चल रहे हैं। सरकार इन स्कूलों को अभी तक खुद का भवन नहीं दे पाई है।
हालात यह है कि किराये की बिल्डिंग होने के कारण समय पर इनका मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा है। मजबूरन छात्र-छात्राओं को जर्जर बिल्डिंगों में ही पढ़ाई करनी पड़ रही है। माध्यमिक और प्रारंभिक सेटअप को मिलाकर हर साल शिक्षा निदेशालय करीब 35 हजार करोड़ से अधिक का बजट खर्च कर रहा है।
इसमें 97% पैसा शिक्षकों की सैलरी पर ही खर्च हाे रहा है। स्कूलों में विकास कार्य के लिए नामांकन के आधार पर प्रत्येक स्कूल को 12 हजार से एक लाख तक के वार्षिक बजट का प्रावधान है। इस हिसाब से सरकार को प्रदेश में एजुकेशन सिस्टम सुधारने पर ध्यान देना होगा।
भास्कर पड़ताल : जर्जर कमराें में चल रहे हैं स्कूल, मेंटेनेंस के नाम पर हो रही खानापूर्ति
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पुलिस लाइन
बीकानेर के इस स्कूल में आठवीं तक के करीब 62 बच्चे हैं। स्कूल की बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। पीडब्ल्यूडी ने इस बिल्डिंग को नाकारा भी घोषित कर दिया है। शिक्षा विभाग अभी तक इस स्कूल के लिए दूसरे भवन की व्यवस्था नहीं कर पाया है। मजबूरन बच्चों को स्कूल के बाहर बैठकर पढ़ाया जा रहा है।
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय दफ्तरी चौक
इस भवन में दो स्कूलों का संचालन हो रहा है। न्यायालय ने दो माह में स्कूल खाली करने का नोटिस भी दे दिया है। जिसमें अब 20 दिन का समय बचा है। शिक्षा विभाग अभी तक दूसरे भवन की व्यवस्था नहीं कर पाया है। दोनों स्कूलों में करीब 320 बच्चे हैं। मोहल्लेवासी इस स्कूल को दूसरी जगह शिफ्ट करने के विरोध में है।
बीएसएफ परिसर में 40 साल से चल रहा स्कूल
बीएसएफ प्रशासन स्कूल बिल्डिंग को भी खाली कराने के लिए शिक्षा विभाग को लिख चुका है। अभी तक इस स्कूल के लिए भी दूसरा भवन नहीं देखा गया है। आठवीं तक के इस स्कूल में करीब 132 बच्चों का नामांकन है। स्कूल बीएसएफ परिसर में होने के कारण सुरक्षा के लिहाज से बीएसएफ बिल्डिंग को वापस लेना चाह रहा है।
बीकानेर के 400 स्कूलों में बिजली नहीं, 35 चल रहे किराए के भवन में
बीकानेर को शिक्षा की राजधानी कहा जा सकता है, क्योंकि प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा निदेशालय यहीं हैं। बीकानेर जिले की बात करें तो यहां करीब 400 स्कूलाें में बिजली का कनेक्शन नहीं है। शहरी क्षेत्र के करीब 35 स्कूलों के पास खुद का भवन नहीं है। वे किराए की बिल्डिंग में ही चल रहे हैं।
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