दीपावली की रात श्रीडूंगरगढ़ के सोनियासर मीठिया गांव में एक खेत की ढाणी में आग लग गई। आग इतनी जबर्दस्त थी कि अंदर बैठी बकरियां जलकर मर गई, गाय को बचाने के लिए किसान को अपनी जान की बाजी लगानी पड़ी। झुलसने के कारण किसान के शरीर पर जगह-जगह फफोले हो गए। ढाणी में रखा सामान भी जलकर राख हो गया। किसान ने आग में गाय को बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी लेकिन सोने चांदी के आभूषण जलकर राख हो गए।
जानकारी के अनुसार सोनियासर मीठिया में हरिराम पुत्र अगराराम मेघवाल के खेत में आग लगी है। हरीराम और उसका परिवार के घर के आगे सो रहा था। इसी दौरान ढाणी में आग लग गई। आग इतनी तेजी से फैली कि अंदर बंधी बकरियों को निकालने का समय नहीं मिला। तीन बकरियों पूरी तरह जलकर खत्म हो गई। यहां एक गाय भी बंधी हुई थी। गाय को तड़फते देख किसान हरिराम बाड़े में कूद गया। जहां से जैसे-तैसे गाय को खूंटे से खोल दिया। गाय झुलसी हुई अवस्था में बाहर आ गई। खुद हरिराम के हाथ, कंधे, पेट और कमर आग से झुलस गए। सुबह तक उसके शरीर पर जगह-जगह आग से फफोले हो गए। हरिराम को अब अस्पताल पहुंचाया गया है, जहां इलाज चल रहा है। ग्राम सरपंच नंदकिशोर बिहाणी ने मौके पर पहुंचकर पीड़ित किसान को संभाला। वहीं ढाणी में रखे सामान के नुकसान की भरपाई के लिए प्रशासन से बात की।
गर्भवती थी बकरी, बच्चे बाहर निकले
आग बुझने के बाद का दृश्य बड़ा हृदय विदारक था। हरीराम की तीन बकरियां थी, तीनों जलकर मर गई। इसमें एक बकरी गर्भवती थी, उसके गर्भ से बकरियों के बच्चे भी मृत अवस्था में बाहर निकले। ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचकर हरिराम के प्रति संवेदना जताई और सहयोग का आश्वासन दिया। फिलहाल हरिराम को सरकारी अस्पताल पहुंचाया गया है।
ढाणी में रखा सामान भी राख
हरिराम ने बताया कि ढाणी में सोने चांदी के गहने, 15 हजार के करीब नगदी, तीन क्विंटल ग्वार, 10 क्विंटल बाजरा भी जल गया। आग के कारण अंदर रखे कपड़े भी जल गए। माना जा रहा है कि ढाणी के पास बने बाड़े में किसी आतिशबाजी के कारण आग लगी है। सोना और चांदी के आभूषण की कीमत अभी स्पष्ट नहीं हुई है।
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