सरकारी विश्वद्यालयाें में सीनियरिटी और जूनियरिटी काे लेकर अक्सर विवाद खड़े हा़े जाते हैं। महाराजा गंगासिंह विवि प्रशासन इन दिनाें ऐसे ही एक विवाद में उलझा हुआ है। इसका कारण है डीन कमेटी। संभाग के सबसे बड़े कन्या काॅलेज के प्रिंसिपल ने अपने से जूनियर काे डीन फैकल्टी बनाने का विरोध किया है। कुलसचिव को पत्र लिखकर डीन कमेटी काे ही गलत ठहराया दिया। प्रिंसिपल ने लिखा है कि इसमें संशोधन करें वर्ना उन्हें कमेटी से हटा दें।
दरअसल यह मामला बोर्ड ऑफ स्टडीज और डीन कमेटियों के गठन से जुड़ा है। महाराजा गंगासिंह विवि ने हाल ही में इन कमेटियों का गठन किया है। विवाद साइंस फैकल्टी का डीन डूंगर कॉलेज के प्रिंसिपल डाॅ.जीपी सिंह काे बनाने पर पैदा हुआ है। एमएस कॉलेज प्रिंसिपल डॉॅ.शिशिर शर्मा इसे फैसले के विरोध में उतर आए हैं।
उनका कहना है कि साइंस फैकल्टी में वे सबसे सीनियर हैं। दूसरे नंबर पर रवीन्द्र मंगल। उसके बाद जीपी सिंह का नंबर आता है, लेकिन दबाव में सिंह काे फैकल्टी चेयरमैन बनाया गया। इस बात से नाराज शर्मा ने सोमवार को कुलसचिव राणीदान को पत्र लिखकर कहा कि इसे बदलें अन्यथा उन्हें बोर्ड ऑफ स्टडीज कमेटी से भी हटा दें क्योंकि बोर्ड ऑफ स्टडीज कमेटी के कन्वीनर रवींद्र मंगल हैं।
रोचक तथ्य ये भी है कि स्नातक में अंग्रेजी विषय की कन्वीनर डॉॅ.सीमा शर्मा डूंगर काॅलेज की पूर्व प्राचार्या डाॅ.कृष्णा ताेमर की स्टूडेंट रही हैं लेकिन अब सीमा कन्वीनर हैं और डाॅ.ताेमर उस कमेटी में एक्सटर्नल मेंबर। इतिहास विषय की कन्वीनर डॉॅ.अंबिका ढाका हैं जाे विवि में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं लेकिन कई काॅलेजाें के एसोसिएट प्रोफेसर इसमें बताैर मेंबर लगाए गए हैं। लॉ फैकल्टी का मामला भी इन दिनों चर्चे में हैं।
राजकीय विधि कॉलेज के प्राचार्य डॉॅ.भगवाना राम बिश्नोई काे बनाया गया लेकिन श्रीगंगानगर के प्राचार्य वीएन सिंह और चूरू के एसके सैनी बिश्नोई से सीनियर बताए जा रहे हैं। इस वजह से विवि काे शिक्षकों का विरोध सहना पड़ रहा है।
किसने कहां क्या लिखा, कहां शिकायत की। इसकी जानकारी मेरे सामने नहीं अाई। सब नियमों के तहत किया है। कुछ कुलपति का विशेषाधिकार भी हाेता है। मैने काफी चीजाें पर विचार करके ही निर्णय लिए हैं और मैं उस पर कायम हूं।
-प्राे.वीके सिंह, कुलपति, एमजीएसयू
क्या कहते हैं नियम
बाेर्ड ऑफ स्टडीज और डीन कमेटी के गठन नियमों में ये कहीं उल्लेखित नहीं है कि सबसे सीनियर काे ही कन्वीनर या डीन बनाना है लेकिन सीनियर माेस्ट काे बनाना है ये उल्लेख है। ला में वीएन सिंह के दाे कार्यकाल रहे इसलिए उनकाे इस बार माैका नहीं दिया गया। भगवानाराम काे माैका इसलिए मिला क्योंकि विवि मुख्यालय काॅलेज के प्राचार्य हैं। जीपी सिंह काे चेयरमैन इसलिए बनाया क्योंकि कुलपति के पास जाे फाइल पहुंची उसमें सबसे ऊपर उन्हीं का नाम था। इसमें कुलपति काे विशेषाधिकार है कि वे किसे डीन फैकल्टी और किसे कन्वीनर बनाएं।
पहली बार नहीं हुआ ऐसा : महाराजा गंगासिंह विवि में किसी जूनियर काे डीन फैकल्टी या कन्वीनर पहली बार नहीं बनाया गया। इससे पहले भी कई बार ऐसा हाे चुका है। इसकी वजह स्पष्ट है कि इसके चयन में कुलपति का विशेषाधिकार हाेना है। कुलपति अपनी सहूलियत और उपलब्धता के हिसाब से चयन करते हैं। जैसे ला फैकल्टी में कुछ चर्चा करनी है ताे संभाग मुख्यालय पर बैठे डीन आसानी से कुलपति तक पहुंच सकते हैं लेकिन दूरदराज से आने में समय लगता है बावजूद इसके अन्य जिलाें के प्रोफेसरों काे ये माैका दिया जाता रहा है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.