हरिओम शर्मा | बूंदी अटेल क्षेत्र के किसान भले ही नहरी पानी के लिए तरस रहे हों, इससे सीएडी के इंजीनियराें को कोई सरोकार नहीं है। जो पानी खेतों में सिंचाई के लिए जाना चाहिए, वह 20 दिन से रोड पर बह रहा है। इस पानी से हजारों हैक्टेयर खेतों को पानी पिलाया जा सकता था। ग्रामीणों का कहना है कि शिकायत के बाद भी कुछ नहीं करते, जबकि पानी फिजूल बह रहा है। नहर के पानी से रोड ने तलाई का रूप ले लिया है। परेशानी यह भी है कि पानी के कारण पीडब्ल्यूडी का रोड भी खराब हो गया है। जो पानी व्यर्थ बह गया है, उससे 7 हजार बीघा में सिंचाई हो सकती थी। भास्कर रिपोर्टर ग्रामीणों की शिकायत के बाद लाखेरी के पास पीपल्दा थाक गांव में पहुंचा। ग्रामीणाें का कहना था कि माखीदा से बसवाड़ा तक के नहरी सिस्टम के बीच पीपल्दा थाग गांव आता है। इस नहर का साइफन लंबे समय से टूटा हुआ है। समय पर साइफन की मरम्मत नहीं हो पाई और नहर का पानी सड़क पर 1 किमी क्षेत्र तक फैल रहा है। इन दिनों हेड क्षेत्र में नहरी पानी की जरूरत कम है। ऐसे में नहरें पूरे वेग से चल रही है और किसानों का भला हो सकता था। सीएडी के इंजीनियराें की अनदेखी से खेतों के हिस्से का पानी रोड पर व्यर्थ बह रहा है।
चंबल कमांड एरिया में डिमांड के समय भी भटकना मजबूरी
वरिष्ठजन सीताराम मीणा का कहना था कि पलेवा से लेकर फसल पकने तक नहरी पानी की जरूरत होती है। बसवाड़ा, बड़ाखेड़ा और माखीदा पंचायत के ये 2 गांव चंबल कमांड एरिया के सबसे आखिर में आते हैं। हेड के अंतिम छोर के गांव होने से पानी पहुंचाने में दिक्कत होती है। जरूरत के समय किसान फसल की बुवाई के समय से ही पानी की मांग करने लगते हैं। धरना-प्रदर्शन और जाम के बाद नहरी पानी मिल पाता है। कई बार तो नहर का पानी नहीं मिलने से फसल ही खराब हो जाती है। इस बार नहर में पानी तो आया गया, लेकिन रोड पर व्यर्थ बह रहा है। सरकारी सिस्टम में सुनवाई नहीं हो रही।
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