मैं मिष्ठी…उम्र 4 माह
वो बरसात की रात थी, जब मैं पैदा हुई। मेरी मां ने जन्म लेते ही मुझे फेंक दिया। मैं बरसात और ठंड से कांपती रही। एक अंकल ने उठाकर हॉस्पिटल पहुंचाया। 23 दिन तक जिंदगी और मौत के बीच लड़ती रही।
मां ने तो मुझे सीने से नहीं लगाया, डॉक्टरों ने नली से दूध पिलाया और इलाज किया। आज मैं 4 महीने की हो गई हूं। मेरी मां ने कभी मुझे पलटकर नहीं देखा। मैंने भी अपनी मां की शक्ल नहीं देखी।
जिंदगी में कभी उनसे मिली तो पूछूंगी…
मां! क्या मैं इतनी बुरी हूं कि पैदा होते ही तुमने मुझे छत पर फेंक दिया?
मुझसे इतनी नफरत थी तो पैदा ही क्यों किया?
अगर बोल पाती तो ये जज्बात होते 4 महीने पहले चित्तौड़गढ़ में छत पर फेंकी गई नन्ही सी बच्ची के। जन्म देने वाली मां ने सिर्फ उसे छोड़ा नहीं, बल्कि फेंककर जान से मानने की कोशिश की। गैरों ने मदद का हाथ नहीं बढ़ाया होता तो निर्दयी मां उसकी हत्या में कामयाब भी हो जाती।
भास्कर ने अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति, इलाज करने वाले डॉक्टर-नर्स और अभी बच्ची को संभाल रहे शिशु गृह के स्टाफ से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
सबसे पहले दुकान में काम करने वाले ने सुनी आवाज
मोहम्मद अजहर की दुकान पर काम करने वाले पप्पू कालबेलिया ने बताया कि वो दिन कभी नहीं भूल सकता। 26 जुलाई थी और मंगलवार का दिन था। सुबह 11 बजे के करीब शॉप को खोला था। उस दिन सुबह से बारिश आ रही थी। दुकान खोलने के आधे घंटे बाद बच्ची के रोने जैसी आवाज सुनाई देने लगी।
दुकान में चार बिल्लियां और उनके बच्चे घूमते रहते थे। इस कारण शक नहीं हुआ कि कोई जिंदा बच्ची हो सकती है। ऐसे करते-करते करीब ढाई बज गए। तब कुछ गलत होने का शक हुआ। आस-पास देखने के बाद छत पर जाकर भी देखा।
बारिश में भीग रही थी कबाड़ में पड़ी बच्ची
दुकान मालिक मोहम्मद अजहर ने बताया कि एक बारगी छत पर कोई नहीं दिखा, लेकिन रोने की आवाज लगातार आती रही। तब एक छोटे प्लास्टिक के ड्रम पर नजर गई। उसे हटाकर देखा तो एक नवजात बच्ची दिखी। उसे देखते ही होश उड़ गए।
समझ नहीं आया कि नवजात बच्ची छत पर कैसे आ गई। उसे हाथ में उठाया तो ठंड से कांप रही थी और शरीर कठोर हो चुका था। बच्ची के शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था। उसकी नाल भी कटी हुई थी। आस-पास लोहे और स्टील की चद्दर और किले सब रखी हुई थी। लगातार बारिश हो रही थी। प्लास्टिक का ड्रम ऊपर होने से उसकी जान बच गई।
हॉस्टल से बच्ची को फेंकने का हुआ था शक
मोहम्मद अजहर ने बताया कि दुकान के आस-पास कोई घर नहीं है। पीछे की तरफ एक हॉस्टल था, जिसमें नर्सिंग कर्मी रहते थे। शक हुआ कि किसी ने हॉस्टल से बच्ची को फेंका है। तब बच्ची की जान बचाना ज्यादा जरूरी था। घर से एक कपड़ा लाकर बच्ची को लपेटा।
पड़ोसी पप्पू के साथ कार से तुरंत बच्ची को हॉस्पिटल लेकर गया। डॉक्टरों ने बच्ची को आईसीयू में भर्ती कर लिया। अपना नाम, पता देकर कोतवाली पुलिस को मामले की जानकारी दी। शाम साढ़े बजे एएसआई जितेंद्र सिंह आया। उसके कुछ देर बाद ही डिप्टी बुद्धराज टांक भी मौके पर पहुंचे और जानकारी ली।
सांस भी नहीं ले पा रही थी
मिष्ठी का इलाज डॉ. जयसिंह मीणा ने किया था। उन्होंने बताया कि बच्ची 7 महीने की प्री-मैच्योर बेबी थी। पूरी तरह सिकुड़ने और बारिश में भीगने के कारण सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। प्री-मैच्योर होने के कारण फेफड़े भी कमजोर थे। ठंड से एलर्जी हो चुकी थी। उसका वजन भी केवल 1.95 किलो था। हमारे लिए बच्ची को बचाना चैंलेज था।
बच्ची को नली से दूध पिलाया
डॉ. जयसिंह ने बताया कि बच्ची को ऑक्सीजन दिया गया। बच्ची बोतल से दूध भी नहीं पी पा रही थी। ऐसे में उसे नली से दूध पिलाया गया था। नर्सिंग स्टाफ के 10 लोगों ने बारी-बारी से दिन-रात बच्ची की देखभाल की। 23 दिन गुजरने के बाद हालत सही हुई और चम्मच से दूध पीना शुरू किया। इसके बाद डिस्चार्ज कर बाल कल्याण समिति को सौंपा।
बाल कल्याण समिति आकर डॉक्टर चेकअप करते
बाल कल्याण समिति अध्यक्ष प्रियंका पालीवाल ने बताया कि 19 अगस्त को बच्ची को लेकर आए थे। तब उसका वजन 2.05 किलो था। बच्ची को केयर की ज्यादा जरूरत थी। एक दिन छोड़कर एक दिन डॉक्टर चेकअप करने आते थे। नर्सिंग कर्मी हमेशा मौजूद रहती थी। इसके अलावा 2- 2 आया शिफ्ट वाइज मौजूद रहती है।
शिशु गृह में मिला मिष्ठी नाम
बाल कल्याण समिति की सदस्य सीमा भारती ने बताया कि शिशु गृह में बच्ची को लाने के बाद उसका नाम रखना था। बच्ची को देखते ही हम उसकी तरफ आकर्षित हो गए और लगा कि वह जिस भी घर में जाएगी वहां मिठास ही घोलेगी, इसलिए इसका नाम मिष्ठी रखा।
शिशु गृह ही बना घर
सदस्य मंजू जैन ने कहा कि हम सब बच्ची से इमोशनली जुड़ चुके हैं। हाल ये है कि मूड ऑफ होने पर शिशु गृह में बच्ची के पास जाकर खेलने लगते हैं। इसके अलावा बच्ची के रूम में राउंड रेगुलर करते हैं। मिष्ठी के रूम में एक झूला है। जिसमें वह सोती है। उस पर एक झुनझुना भी लगा है। दीवारों पर कार्टून के पिक्चर लगा रखे हैं। सबको देखकर अब स्माइल करती है।
आस-पास लोगों को देखकर रिस्पॉन्स करती है
केयर टेकर अनीता ने बताया कि 4 महीने हो गए, वह हमारी गोद में ही खेलती है। सुबह उठ जाती है। स्वभाव से बहुत शांत है। इसलिए न ज्यादा रोती है, न ज्यादा किसी को परेशान करती है। अब तो वह अपनी भाषा में बात भी करने लगी है। जब भी बात करते हैं तो हूं हां में जवाब देती है। आसपास लोगों को देखकर रिस्पॉन्स करने लग गई है। लोगों को देखकर खेलती है।
शिशु गृह में अभी हैं 2 बच्चे
केयर टेकर ने बताया कि टाइम- टाइम से हम उसको दूध देते हैं। इतने दिन तो उसे मदर मिल्क पिलाया जा रहा था, लेकिन अब ऊपर का दूध भी देने लगी हैं। उसका वजन अब बढ़कर 3.09 किलो हो चुका है। भूख लगने पर ही रोती है, बाकी खेलती रहती है। ज्यादातर टाइम सोती है। आया ने बताया कि अभी हमारे पास दो बच्चे हैं। इतने दिनों में तो बच्चों से लगाव हो ही जाता है। फिर भी प्रार्थना करती हूं कि बच्चों को हंसता खेलता घर मिले और मां बाप का प्यार मिले।
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दुष्कर्म के बाद जन्मी बच्ची को नाबालिग मां ने फेंका
बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामलों में राजस्थान देश में सबसे आगे है। लगातार सरकार को ऐसे मामलों में आलोचना भी झेलनी पड़ती है, लेकिन अब भी हालात नहीं बदले हैं। सामने आया नया केस और भी दिल-दहलाने वाला है। चचेरे भाई की दरिंदगी का खामियाजा भुगतने वाली नाबालिग ने एक मासूम बेटी को जन्म देकर तेज सर्दी की रात में मरने के लिए झाड़ियों में फेंक दिया। मासूम कई घंटे तक बिना कपड़ों के ठंड में पड़ी रही और और उसका पूरा शरीर कंटीली झाड़ियों के कारण छिल गया। पूरी खबर पढ़ें
मां ने बच्ची को जन्म देकर तीसरी मंजिल से फेंका:DNA टेस्ट के बाद नर्सिंग स्टूडेंट गिरफ्तार, प्रेग्नेंसी की बात सबसे छुपाई
एक निर्दयी मां ने बच्ची को मौत देनी चाही, लेकिन वह नाकाम रही। मां ने उसे कोख में मारने के लिए अबॉर्शन की दवा ली। गर्भ नहीं गिरा। 7 महीने की प्री-मैच्योर डिलीवरी हुई। तब मां ने तीसरी मंजिल से नीचे फेंक दिया। यहां भी बच्ची की किस्मत के आगे मां के मंसूबों पर पानी फिर गया। बच्ची तीसरी मंजिल से दुकान की छत पर गिरी और बच गई। आज बच्ची 4 महीने की है और स्वस्थ है। शिशु गृह में उसकी देखभाल की जा रही है। उधर, 22 साल की आरोपी मां सीमा कीर की गिरफ्तारी हो गई है। वो नर्सिंग की स्टूडेंट है। मामला चित्तौड़गढ़ का है। (पूरी खबर पढ़ें...)
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