भैंसरोडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में सोमवार से दो दिनों तक 28 वाटर पाइंट पर वन्य जीव गणना होगी। हर साल बुद्ध पूर्णिमा के अवसर वन्य जीव गणना की जाती है। लेकिन किन्हीं कारणों से गत 2 सालों से वन्य जीव गणना नहीं हो पाई। अब 2 साल बाद वन्यजीव गणना की जा रही है। जिसमें यह पता लगेगा कि भैंसरोडगढ़ वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र में कितने वन्य जीव बढ़े या घटे।
क्षेत्रीय वन अधिकारी दिनेशनाथ ने बताया कि इसके लिए शनिवार को कोटा में ट्रेनिंग दी गई। जिसमें बताया कि किस तरह से वन्यजीव गणना की जानी चाहिए। क्या सावधानियां इसमें जरूरी है। प्रत्येक वाटर पाइंट पर 2 लोगों को लगाया जाएगा। जिसमें कर्मचारियों के अलावा वालंटियर, वन्यजीव प्रेमियों का सहयोग लिया जाएगा। 28 वाटर पाइंट पर ही खाने की व्यवस्था विभाग की ओर से मौके पर ही की जाएगी।
12 ट्रेक कैमरे लगाएंगे
वन अधिकारी दिनेश नाथ ने बताया कि वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में वाटर होल पद्धति से वन्यजीव गणना होगी। इसमें 12 ट्रेक कैमरे लगाए जाएंगे। जिसमें वन्यजीवों की रात में भी मूवमेंट की जानकारी मिल पाएगी। इसके अलावा वनकर्मी भी गणना करेंगे।
वाटर पॉइंट पर टैंकरों से की पानी की व्यवस्था
कई वाटर पॉइंट पर गर्मी के कारण पानी खत्म हो गया है। ऐसे में टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जाएगी। ताकि वन्य जीवों की गणना आसानी से हो सके।
वाटर होल पद्धति के अलावा ट्रांजेक्ट लाइन सर्वे भी रहेगा जारी
गौरतलब है कि अभयारण्य में परंपरागत वाटर पद्धति गणना के अलावा ट्रांजेक्ट लाइन से भी पहली बार वन्य जीव गणना हो रही है। हर साल वाटर होल पद्धति से वन्य जीव गणना की जाती है। इसमें वास्तविक आंकड़ों का विरोधाभास रहता है। इसलिए पहली बार इस तकनीक से वन्य जीव गणना की जा रही है। जिसमें देहरादून के विशेषज्ञ गणना कर रहे है। इस गणना के बाद 100 ट्रैक कैमरे लगाकर भी गणना की जाएगी।
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