सरदारशहर तेरापंथ भवन में आचार्य महाश्रमण महाराज ने तेरापंथ भवन में उपस्थित जनता को आचार्य श्री ने संक्षिप्त उद्बोधन प्रदान करते हुए कहा कि जैन धर्म में धर्म को उत्कृष्ट मंगल बताया गया है। अहिंसा, संयम और तप धर्म है। धर्म से आत्मा का कल्याण हो सकता है। धर्म से युक्त आदमी का जीवन अच्छा होता है। धर्म से आत्मा का कल्याण हो सकता है। धर्म में रमे हुए आत्मा को देवता भी नमस्कार करते हैं।
देवता नमस्कार करें अथवा न करें, आदमी को अपने जीवन को धर्ममय बनाने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में धर्म होता है तो शांति की प्राप्ति हो सकती है और शक्ति की भी प्राप्ति हो सकती है। जीवन को शांतिमय और शक्तिमय बनाना है तो जीवन में धर्म होना चाहिए। अहिंसा, संयम और तप के द्वारा जीवन को धर्म से युक्त बनाने का प्रयास करना चाहिए। धर्म की जितनी साधना हो सके, आदमी को करने का प्रयास करना चाहिए।
धर्मयुक्त जीवन से शांति और शक्ति के साथ-साथ आगे की गति भी अच्छी हो सकती है। इसलिए जीवन को धर्म से युक्त बनाने का प्रयास करना चाहिए। आचार्य श्री आज संक्षिप्त उद्बोधन के साथ ही तेरापंथ भवन की ओर पधार गए, किन्तु आचार्य श्री के अनुग्रह से आकंठ तक तृप्त हो रहे सरदार शहर वासियों की भावाभिव्यक्ति आज भी अनवरत जारी रही है।
ये रहे मौजूद
इस मौके पर बाबूलाल बोथरा,प्रकाश बुच्चा, सिद्धार्थ चिंडालिया, सभा मंत्री पारस बुच्चा, सजय बोथरा, प्रियंका दूगड़,प्रतिभा दूगड़,निधि दूगड़, बालक चिन्मय दूगड़, बालिका सौम्या नाहटा,डॉ. कुसुम लूणिया आदि उपस्थित रहे।
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