राजस्थान में ब्राह्मणों ने EWS के लिए मांगा राजनीतिक आरक्षण:सांसद तिवाड़ी बोले- वक्फ बोर्ड की तरह हिंदू रिलिजियस एक्ट बने

दौसा17 दिन पहले
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दौसा के मेहंदीपुर में रविवार को विप्र फाउंडेशन के सम्मेलन में संबोधित करते सांसद घनश्याम तिवाड़ी।

विप्र महाकुंभ में स्थानीय निकाय और पंचायतीराज चुनावों में SC,ST,OBC की तरह इकोनॉमिक वीकर सेक्शन ( EWS) को भी राजनीतिक आरक्षण देने की मांग की गई है। राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि EWS को भी अब आरक्षण की सारी सुविधाएं मिलने चाहिए जो अन्य समाजों को मिलती है। यह एक नई लड़ाई आज दौसा के मेहंदीपुर बालाजी से शुरू हुई है। महाकुंभ में कांग्रेस-बीजेपी के ब्राह्मण नेता एक मंच पर दिखाई दिए।

राज्यसभा सांसद और भाजपा के वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि हमें स्पेशल बैकवर्ड क्लास (एसबीसी ​​​​​) से मतलब नहीं है। हमें तो हमारा आरक्षण अलग से चाहिए।

तिवाड़ी ने मंदिर अधिग्रहण पर कहा- राज्य सरकार को मंदिरों का अधिग्रहण करने का कोई अधिकार नहीं है। पुजारी केवल ब्राह्मण ही नहीं, बल्कि गुर्जर और राजपूत समेत अन्य समाजों के भी लोग हैं।

हमारी यह मांग केवल ब्राह्मण पुजारियों के लिए नहीं है। पूरे हिंदू समाज के लिए है। उन्होंने नाम लिए बगैर कहा कि यदि किसी के लिए वक्फ बोर्ड अलग से हो सकता है, तो हिंदू रिलिजियस एक्ट भी बनना चाहिए। सारे देवस्थान हिंदू समाज के कब्जे में रहने चाहिए।

दौसा के मेहंदीपुर बालाजी में रविवार को विप्र फाउंडेशन की ओर से किए गए आयोजन में अलग-अलग पार्टियों से जुड़े ब्राह्मण नेता एक मंच पर नजर आए।
दौसा के मेहंदीपुर बालाजी में रविवार को विप्र फाउंडेशन की ओर से किए गए आयोजन में अलग-अलग पार्टियों से जुड़े ब्राह्मण नेता एक मंच पर नजर आए।

तिवाड़ी बोले- हम दूसरे समाजों के आरक्षण के खिलाफ नहीं

राज्यसभा सांसद ने कहा कि जब आरक्षण आंदोलन हमने शुरू किया था, उस वक्त यहां मंच पर बैठे सभी लोग साथ थे। सीकर से हमने आंदोलन शुरू किया था। मैं कह देना चाहता हूं कि हम किसी अन्य समाज के आरक्षण के खिलाफ नहीं। हमको हमारे हक का आरक्षण चाहिए।

उस वक्त सामाजिक न्याय मंच की ओर से आरक्षण की बड़ी लड़ाई लड़ी जा रही थी। जिसमें मैं राजपूत, ब्राह्मण, बनियों को ओबीसी में शामिल करने की मांग कर रहा था। उस दौरान हमने सीकर के रामलीला मैदान से फॉर्मूला घोषित किया था। हम ओबीसी में नहीं जा सकते। हमें तो आर्थिक आधार पर अलग से आरक्षण चाहिए।

हम अगड़े हैं, लेकिन आर्थिक रूप से तगड़े नहीं

तिवाड़ी ने कहा- सरकार ने समाज के सभी वर्गों को आरक्षण दे रखा है। हमारी जमीन चली गई, जजमानी चली गई। मंदिर माफी की हमारी जमीन भी चली गई। इसके बावजूद लोग हम पर आरोप लगाते हैं। लोग वर्ण व्यवस्था की आलोचना करते हैं। मैं उस विवाद में नहीं पड़ना चाहता।

उन्होंने कहा कि अभी भी 4 वर्ग बने हुए हैं- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और हम अगड़े। लेकिन हम आर्थिक रूप से तगड़े नहीं है। इसके लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण जरूरी है। इसी मांग के तहत संविधान संशोधन होने के बाद ईडब्ल्यूएस का 10 प्रतिशत आरक्षण मिला है।

सम्मेलन में बड़ी तादाद में महिलाएं भी शामिल हुई।
सम्मेलन में बड़ी तादाद में महिलाएं भी शामिल हुई।

वह भी हमने अकेले नहीं लिया, उसमें राजपूत, वैश्य, कायस्थ और वंचित मुसलमान भी शामिल है। इस आरक्षण के साथ तो वह सभी सुविधाएं जो अन्य समाजों को सरकार द्वारा दी जाती है, वह सभी सुविधाएं आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग को भी मिलनी चाहिए।

तिवाड़ी ने कहा- मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने संविधान संशोधन करके आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिया है।

ब्राह्मण समाज पर जन्मजात दो जिम्मेदारी

राज्यसभा सांसद ने कहा- ब्राह्मण समाज पर जन्मजात दो जिम्मेदारियां हैं। पहली जिम्मेदारी अपने परिवार और समाज को आगे बढ़ाने की। दूसरी जिम्मेदारी हमारे पूर्वजों की ओर से दी गई विश्व की सबसे सर्वश्रेष्ठ संस्कृति, जो हमने पैदा की है, उसका संरक्षण करना।

महेश जोशी बोले- हमें ताकत के साथ जिम्मेदारी निभानी है

जलदाय मंत्री महेश जोशी ने कहा- विप्र महाकुंभ में आना मेरी जिम्मेदारी थी। मुझे खुशी है कि मैं इसमें शामिल हुआ और अपनी बात रखी। हमें अधिक ताकत के साथ देश और समाज के प्रति जिम्मेदारी निभानी होगी। ऐसा करके हम समाज का नाम ऊंचा करेंगे।

जोशी ने कहा कि आजकल नारे दो वजह से लगाए जाते हैं- आक्रोश व्यक्त करने के लिए और सच्चाई दबाने के लिए। अपील है कि नारों पर नियंत्रण रखें। आज मेरी सम्मेलन में आने की स्थिति नहीं थी, लेकिन मैं यहां आया हूं।

रघु शर्मा बोले- 200 विधानसभा क्षेत्रों में जमीन लीजिए

पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक रघु शर्मा ने कहा- ये सम्मेलन चुनाव के लिए नहीं है। समाज का सदस्य होने के नाते मैं कहना चाहता हूं कि हमारे बच्चों में टैलेंट की कोई कमी नहीं है। उन्हें अवसर मिलने चाहिए। इसके लिए मेरी अपील है कि आप सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में सवर्ण समाज के बच्चों के लिए छात्रावास बनवाएं, शैक्षणिक संस्थाएं बनवाएं।

कैबिनेट ने तय किया है कि इसके लिए आपको भी 5 प्रतिशत डीएलसी की दर पर जमीन दी जाएगी। समाज के लिए मैं हमेशा तैयार रहूंगा और मंच पर बैठे सभी नेता भी इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते कि वे कौन सी पार्टी से है, समाज के लिए सभी तैयार रहते हैं।

उन्होंने कहा कि राजस्थान में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए ही आरक्षण था। गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण के लिए सीकर से आंदोलन की शुरुआत हुई। इसके बाद बीकानेर, अलवर, दौसा, जयपुर, जोधपुर और कोटा में सम्मेलन हुए। राजनीतिक विचारधारा को एक तरफ रखकर समाज के सभी लोगों ने ईडब्ल्यूएस के लिए माहौल बनाया।

राजस्थान की विधानसभा में इसे पारित किया। पहले यह प्रस्ताव 14 प्रतिशत आरक्षण का था, लेकिन मामला केंद्र में अटका रहा। अब 10 प्रतिशत दिया है। आरक्षण में इतनी बंदिश नहीं होनी चाहिए कि आमजन आसानी से इनका लाभ न ले सके।

विप्र सम्मेलन को लेकर रघु शर्मा ने कहा कि हमने विचार किया कि कैसे समाज एकजुट हो, समाज प्रगति करें। आर्थिक सामाजिक राजनीतिक रूप से हम एकजुट हों। मैं विप्र समाज का सदस्य बनकर आया हूं, स्टेट का एजेंट नहीं। हम कैसे सशक्त हों इस पर विचार किया है।

जयपुर में महापंचायत काफी समय बाद हो रही है, इससे पहले कई जिलों में ईडब्ल्यूएस को लेकर सम्मेलन हो चुके हैं।

अर्चना शर्मा ने कहा- युवा और महिलाओं पर फोकस

समाज कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष अर्चना शर्मा ने कहा ऐसे आयोजनों में समाज में व्याप्त विसंगतियां, कुरीतियां और बुराइयां दूर करने को लेकर चर्चा होती है। साथ ही विप्र फाउंडेशन द्वारा यह प्रयास किया जाता है कि समाज के युवा और महिलाएं कैसे प्रगति करें और कैसे उनका मार्ग प्रशस्त हो।

ये नेता रहे मौजूद

विप्र महाकुंभ में जलदाय मंत्री महेश जोशी, समाज कल्याण बोर्ड अध्यक्ष अर्चना शर्मा, केकड़ी विधायक रघु शर्मा, विधायक अभिनेष महर्षि, मावली विधायक धर्मनारायण जोशी कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष ममता शर्मा, पूर्व विधायक शंकर शर्मा, सपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष पंडित रामकिशन, विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील ओझा समेत कई नेताओं ने संबोधित किया।

विधानसभा चुनाव से पहले जाति की राजनीति

विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में समाजों की सियासत तेज हो गई है। पिछले दिनों जयपुर में जाट महाकुंभ हुआ तो रविवार को दौसा जिले के मेहंदीपुर बालाजी में विप्र महाकुंभ का आयोजन किया गया। इसमें कांग्रेस-भाजपा के नेता एक मंच पर आए।

राजस्थान में जाट CM बनाने की मांग क्यों हो रही?:स्टेट पॉलिटिक्स तक सीमित रहे नेता; 33 विधायक, 8 सांसद हैं अभी

राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले ‘जाट मुख्यमंत्री’ की वर्षों पुरानी मांग एक बार फिर सुर्खियों में है।

राज्य की पॉलिटिक्स में दखल के बावजूद राजस्थान में जाट समुदाय से कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सका है। इसी टीस के साथ 5 मार्च को प्रदेश के तमाम जाट नेता, मंत्री-विधायक, पार्टी संगठनों में अहम पदों पर बैठे लोग ‘जाट महाकुंभ’ में जुटे। मंथन हुआ कि राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी और विधानसभा में जाट समाज का मजबूत प्रतिनिधित्व क्यों नहीं? (पूरी खबर पढ़ें)