तालुका विधिक सेवा समिति के तत्वावधान में शनिवार को न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसमें राजीनामा एवं समझाइश से विभिन्न प्रकरणों का निस्तारण किया गया। आपसी मनमुटाव के चलते करीब 4 साल से अलग-अलग रह रहे पति-पत्नी शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत में समझाइश के बाद एक बार फिर साथ-साथ रहने को तैयार हो गए। इस दौरान मौजूद न्यायिक अधिकारी एवं अधिवक्ताओं ने पति-पत्नी को बधाई दी।
सुबह लोक अदालत को लेकर एडीजे प्रदीप कुमार, एसीजेएम मनोरमा मीना की अध्यक्षता में अलग - अलग बैंच का गठन किया गया। जिनमें प्रि-लिटिगेशन, धन वसूली मामले, बीएसएनएल, बिजली-पानी के बिल, भरण-पोषण, चैक अनादरण, वैवाहिक, घरेलू हिंसा , मजदूरी भत्ते, पेंशन, राजस्व सहित अन्य प्रकरण रखे गए। न्यायिक अधिकारियों ने दोनों पक्षकार एवं अधिवक्ताओं की मौजूदगी में आपसी समझाइश एवं राजीनामा से प्रकरणों का निस्तारण किया। लोक अदालत में ममता बनाम सोहनलाल के मामले में ऐसीजेएम मनोरमा, परिवादी एडवोकेट कृष्णा भारती, सीबी मुद्गल, अप्रार्थी एडवोकेट लखनलाल बैरवा ने दोनों पति-पत्नी को समझाइश कर एक साथ रहने के लिए राजी कर लिया। दोनों ने पुरानी बातें भूलकर पुनः एक साथ रहने की इच्छा जताई।
न्यायिक अधिकारी एवं अधिवक्ताओं की कि मौजूदगी में दोनों पति- पत्नी ने एक दूसरे को माला पहनाकर आपसी मतभेद दूर किए। एडवोकेट मुद्गल ने बताया कि सोहनलाल बैरवा निवासी पापड़दा व ममता बैरवा निवासी मोराडी की शादी करीब 5 साल पहले हुई थी। दोनों 4 साल से अलग-अलग रह रहे थे। पत्नी ममता ने अदालत में पति से खर्चा दिलवाने के लिए परिवाद पेश कर रखा था। परिवादी ममता बेटे के साथ कई साल से पीहर रह रही थी। लेकिन अब लोक अदालत में पति - पत्नी के बीच विवाद खत्म होने से बेटे के साथ एक साथ रह सकेंगे। इस दौरान तालुका समिति सचिव नितिन शर्मा, एडवोकेट भानूप्रकाश जैमन सहित अन्य मौजूद थे।
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