जिले में रबी की फसल के तहत लक्ष्य के मुकाबले अभी तक सिर्फ 65 प्रतिशत ही गेहूं बुवाई हो सकी है। इसकी वजह किसानों को समय पर सब्सिडी वाला गेहूं बीज और खाद नहीं मिलना है। इससे गेहूं की बुवाई सबसे कम हुई है। क्रय-विक्रय सहकारी समितियों में सब्सिडी वाला बीज नहीं मिलने पर अब किसान निजी बीज दुकानों से महंगे दामों पर बीज खरीदने पर मजबूर हैं।
डूंगरपुर जिले में इस साल रबी की फसल की बुवाई पर बीज की कमी का असर देखने को मिल रहा है। ठंड का असर बढ़ने के बावजूद गेहूं का सब्सिडी बीज और खाद काश्तकारों को नहीं मिल रहा है। डूंगरपुर जिले में कृषि विभाग की ओर से रबी में गेहूं की फसल के लिए 62 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई का टारगेट दिया गया, लेकिन अब तक महज 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई ही हो पाई है, जो टारगेट का 65 पर्सेंट ही है। 22 हजार हेक्टेयर पर अब भी बुवाई का इंतजार है। इसकी प्रमुख वजह सरकार की ओर से क्रय विक्रय सहकारी समितियों में सब्सिडी वाले गेहूं बीज नहीं मिलना है।
डूंगरपुर जिले में गेहूं के अनुदानित बीज की 10 हजार क्विंटल की मांग है, लेकिन जिले में मात्र 1900 क्विंटल बीज ही अब तक मिला है। काश्तकार गेहूं के बीज को लेकर क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है। ऐसे में किसानों को मजबूरी में निजी बीज की दुकानों पर जाकर मंहगे दामों पर बीज खरीदना पड़ रहा है।
खाद की भी कमी
डूंगरपुर जिले में बीज की तरह खाद की भी यही स्थिति है। जिले में यूरिया, डीएपी, एसएसपी खाद का भी टोटा बना हुआ है। रबी फसल को लेकर 15 हजार मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में महज 800 मीट्रिक टन ही यूरिया उपलब्ध है। इसी तरह डीएपी की 2 हजार मीट्रिक टन की आवश्यकता है, लेकिन जिले में वर्तमान में महज 50 मीट्रिक टन ही उपलब्ध है।
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