इंश्योरेंस कंपनी को ब्याज के साथ क्लेम देने का आदेश:जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग का फैसला, कहा- क्लेम नहीं देना सेवा में कमी

हनुमानगढ़7 महीने पहले
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बीमा कंपनी को एक महीने के अंदर क्षतिपूर्ति राशि 9 फीसदी ब्याज समेत अदा करने के निर्देश दिए। - Dainik Bhaskar
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बीमा कंपनी को एक महीने के अंदर क्षतिपूर्ति राशि 9 फीसदी ब्याज समेत अदा करने के निर्देश दिए।

हनुमानगढ़ में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन का बीमा क्लेम नहीं दिए जाने को सेवा में कमी का मामला माना है। आयोग ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को आदेश दिया है कि वह पीड़ित को एक महीने के अंदर दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्षतिपूर्ति राशि 9 फीसदी ब्याज समेत अदा करे। साथ ही मानसिक क्षतिपूर्ति और परिवाद व्यय पर खर्च राशि भी दें।

पीड़ित की ओर से पैरवी करने वाले वकील राजकुमार शर्मा ने बताया कि राकेश कुमार पुत्र अनंतराम जाट निवासी वार्ड 1, पीलीबंगा की बीमित कार बीमा अवधि में 15 अक्टूबर 2020 को सड़क पर पशु आने से पेड़ से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई और आग लग गई, जिसे गाड़ी पूरी तरह जलकर राख हो गई। राकेश कुमार ने इसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट 16 अक्टूबर 2020 को गोलूवाला पुलिस थाना में दर्ज करवाई और दस्तावेज पूरे कर 5 लाख रुपए का क्लेम पेश किया, जिसे यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने अस्वीकार कर दिया। इस पर राकेश कुमार ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग हनुमानगढ़ में प्रार्थना पत्र पेश कर बीमा राशि 5 लाख रुपए व अन्य हर्जा-खर्चा दिलाने की मांग की।

इंश्योरेंस कंपनी ने आयोग में पेश किए जवाब में प्रारंभिक आपत्तियों में परिवाद गलत और आधारहीन पेश करना बताया। साथ ही कहा कि सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसने 4.78 लाख रुपए की अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, लेकिन बीमा पॉलिसी की टर्म एंड कंडीशन के अनुसार क्लेम देय नहीं होने के कारण निरस्त कर दिया। अपनी सेवा में कमी से इनकार कर कंपनी ने परिवाद अस्वीकार करने की बात कही। इस मामले पर विचार करने के बाद आयोग ने परिवादी के हक में फैसला सुनाया।

आयोग के अध्यक्ष राजेशसिंह शेखावत और सदस्य मधुलिका खत्री ने फैसले में लिखा कि पीड़ित के सबूत से साबित होता है कि वाहन दुर्घटना के समय बीमित था। वाहन में आग लगने से क्षति होना भी साबित है। खुद इंश्योरेंस कंपनी के सर्वेयर ने कीमत में से 20 हजार रुपए कम करने और बीमा पॉलिसी के क्लोज विदाउट आरसी 2000 रुपए कम कर कुल 4.78 लाख रुपए का नेट लोस आंकलित किया है। ऐसी स्थिति में पीड़ित के वाहन का 4.78 लाख रुपए का नुकसान होना साबित होता है। इंश्योरेंस कंपनी ने सर्वेयर की ओर से आंकलित क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान नहीं कर सेवा में कमी की है।

उन्होंने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति राशि 4.78 लाक रुपए दुर्घटना की दिनांक 15 अक्टूबर 2020 से वास्तविक अदायगी तक 9 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित अदा करे। साथ ही मानसिक परेशानी के लिए 3000 रुपए और परिवाद व्यय के लिए 3000 रुपए अदा करें और आदेश की पालना एक महीने में सुनिश्चित की जाए। धारा 72, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अनुसार आदेश की पालना नहीं करना 3 वर्ष तक के कारावास या 1 लाख रुपए तक के जुर्माने अथवा दोनों से दण्डनीय अपराध है।

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