एक बुजुर्ग व्यक्ति को अपनों ने ही बेघर कर दिया। उसका सहारा बनने के लिए पराए आगे आए और आसरा दिलाया। मानवता की यह मिसाल कायम की बाल कल्याण समिति अध्यक्ष जितेन्द्र गोयल और जिला श्रम कल्याण अधिकारी अमरचंद लहरी ने। दोनों ने बुजुर्ग को बुजुर्ग की सुध ली और उसे वृद्धाश्रम में आसरा दिलाया।
जानकारी के अनुसार बेटी और बहू ने अपने बुजुर्ग पिता को अपने पास रखने से इनकर कर दिया। इसका पता बाल कल्याण समिति अध्यक्ष जितेन्द्र गोयल और जिला श्रम कल्याण अधिकारी अमरचंद लहरी को चला तो उन्होंने बुजुर्ग की सुध ली और उसे वृद्धाश्रम में आसरा दिलाया। बाल कल्याण समिति अध्यक्ष जितेन्द्र गोयल ने बताया कि बुधवार सुबह सूचना मिली कि जंक्शन बस स्टैंड स्थित रैन बसेरे में कृष्णलाल पुत्र बलेतीराम अग्रवाल नाम के एक बुजुर्ग रूके हुए हैं, जो टाउन के निवासी हैं। सूचना मिलने पर वे जिला श्रम कल्याण अधिकारी अमरचंद लहरी के साथ मौके पर पहुंचे तो पता चला कि बुजुर्ग कृष्णलाल के पुत्र कुलभूषण गर्ग का 2002 में हादसे में निधन हो गया था। एक बेटी बठिंडा में विवाहित है। पत्नी की भी 2016 में मौत हो चुकी है। पुत्रवधू गांव सतीपुरा के गवर्नमेंट स्कूल में टीचर है। कृष्णलाल के पारिवारिक सदस्यों की जोइंट प्रॉपर्टी थी। कृष्णलाल ने प्रॉपर्टी में अपना हिस्सा अपने दामाद को दे दिया, लेकिन विडम्बना की बात है कि परिवार के सदस्यों ने उन्हें घर से निकाल दिया।
आज खुद कृष्णलाल दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि यह बात भी सामने आई कि रैन बसेरे में रूकने के दौरान किसी ने उनकी जेब से साढ़े चार हजार रुपए भी निकाल लिए। मानवता के नाते बुजुर्ग कृष्णलाल को टाउन के वृद्धाश्रम में आसरा दिलाया गया है। सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष गोयल ने इस उम्र में अपने माता-पिता को दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ने वाले बेटे-बेटियों को संदेश देते हुए कहा कि जन्म देने वाले माता-पिता को घर से निकालने की बजाए उनकी सेवा करें। साथ ही गोयल ने बताया कि भामाशाहों व युवाओं को साथ लेकर एक ऐसी टीम बना रहे हैं, जो इस तरह के बेसहारा बुजुर्ग माता-पिता को आसरा दिलाए। साथ ही उनके परिजनों से बात कर उनसे समझाइश कर बुजुर्ग माता-पिता को उनके घर वापस भेजें।
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