प्रदेश में लंपी स्किन डिजीज का संक्रमण लगातार फैल रहा है। अब तक लंपी से लाखों गोवंश संक्रमित हो चुके हैं, जबकि हजारों गायों की मौत हो चुकी है। गोवंश की मौत से पशुपालक काफी परेशान हैं। लंपी संक्रमण से किसी की 2 गायों की मौत, किसी की 3 गायों तो किसी की सभी गोवंश की मौत हो गई, जिससे बाड़े सूने हो गए हैं। चौमूं एवं गोविंदगढ़ नोडल इलाके में एक महीने में लंपी स्किन डिजीज से 2 हजार 500 से ज्यादा गोवंश संक्रमित हुए हैं, इनमें से 250 से ज्यादा गोवंश की मौत हो चुकी है।
2 जगह बनाए आइसोलेशन सेंटर
चौमूं उपखंड क्षेत्र में तेजी से बढ़ते लंपी संक्रमण को लेकर राधा स्वामी बाग चौराहे के गोवंश के लिए आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है। जहां पर वेटरनरी डॉक्टर्स की टीम गायों का इलाज कर रही है। गोविंदगढ़ इलाके में भी गायों के इलाज के लिए प्रशासन ने आइसोलेशन सेंटर बनाया है। उधर गौ रक्षक दल की टीम मुकेश सोकिल व कन्हैयालाल सैनी के नेतृत्व में बीमार गायों के लिए काम कर रही है। गौ रक्षक लंपी से संक्रमित गायों को आइसोलेशन सेंटर तक पहुंचाते हैं। साथ ही गायों के इलाज के लिए आयुर्वेदिक काढ़ा और औषधि भी दे रहे हैं।
लंपी स्किन डिजीज से दूध की कमी
चौमूं निवासी भगवती देवी ने बताया कि दुधारू गायों के संक्रमित होने से करीब 40 फीसदी तक दूध की कमी हो गई है। इलाके में ज्यादातर लोग गाय-भैंसों का दूध बेचकर अपने परिवार का खर्च चलाते हैं। ऐसे में अब उनके सामने आर्थिक स्थिति खड़ी हो गई है। पहले दूध करीब 52 लीटर के भाव पर मिल रहा था, लेकिन लंपी स्किन डिजीज के कारण दूध की कमी होने पर इसके भाव 65 रुपए लीटर तक पहुंच गए हैं।
संक्रमण रोकने में जुटी पशुपालन विभाग की टीमें
चौमूं के नोडल अधिकारी डॉ. नरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि लंपी बीमारी से शहर में संक्रमण के केस बढ़ रहे हैं। हालांकि संक्रमण पर अंकुश पाने का हरसंभव पूरा प्रयास किया जा रहा है। चिकित्सा टीमें लगातार क्षेत्र का सर्वे कर रही है। घर-घर सर्वे करवाया जा रहा है। बीमार गोवंश की सूचना मिलते ही टीम पहुंच रही है और उनका आइसोलेशन सेंटर में इलाज किया जा रहा है।
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