कोरोना महामारी के दौर में मरीजों की मदद के लिए भाजपा सांसद जसकौर मीणा द्वारा छह दिन पूर्व 25 मई को जिला अस्पताल में शुरू की गई हेल्पडेस्क को प्रशासन ने नियम विरूद्ध बताकर हटवा दिया है। इसके बाद सांसद ने अस्पताल के सामने एक निजी दुकान में हेल्पडेस्क का संचालन शुरू किया है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रशासन के इस अमानवीय दृष्टिकोण का विरोध किया है।
सांसद का आरोप है कि राजनीतिक दबाव में प्रशासन ने उनकी हेल्पडेस्क को अस्पताल परिसर से हटवा दिया जबकि इसके माध्यम से रोजाना दर्जनों लोगों की सहायता की जा रही थी। हेल्पडेस्क हटवाने के पीछे प्रशासन का तर्क है कि किसी राजनैतिक दल के चिन्ह के साथ सार्वजनिक जगह पर हेल्पडेस्क नहीं चला सकते। ऐसे में प्रशासन की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है।
सेवा का मार्ग नहीं छोडेगें
सांसद ने कहा कि कई जिलों में ऐसी हेल्पडेस्क चलाई जा रही हैं, लेकिन दौसा में प्रशासन पूरी तरह दबाव में काम कर रहा है। मेरे द्वारा जिला अस्पताल में प्रारंभ की गई हेल्पडेस्क को अस्पताल परिसर से प्रशासनिक दबाव के चलते बंद अवश्य करना पड़ा, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है की मैं और मेरे कार्यकर्ता सेवा और सहायता का मार्ग छोड़ दें। हमने वही हेल्पडेस्क निजी तौर पर दूसरे स्थान पर शिफ्ट की है, जिसमें आने वाले कोरोना पीड़ित एवं अन्य मरीजों व उनके परिजनों को पहले की तरह सेवाएं मिलती रहेंगी।
सांसद ने कहा कि दुर्भाग्य कह बात है कि हमारे द्वारा कोरोना मरीजों की सेवा की बात दौसा के स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार को समझ नहीं आ रही। उन्होंने कहा कि पार्टियों और विचारधाराओं के लिए श्रेय लेने की होड़ का समय बहुत मिलेगा, लेकिन आज अपनी ताकत व एकजुटता मानवता को बचाने के लिए लगा दें तभी हम यह लड़ाई जीत पाएंगे।
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