राज्य में सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर कैसा है, उसका एक उदाहरण दौसा के एक 12वीं तक के स्कूल के इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्टाफ की स्थिति को देखकर लगाया जा सकता है। न स्कूल टीचर हैं न पढ़ाई के लिए भवन। अव्वल हायर क्लासेज को पढ़ाने के लिए तीन सब्जेक्ट्स के तो टीचर ही नहीं है। बदतर हाल तो प्राइमरी क्लासेज के हैं, जहां पांच क्लास के स्टूडेंट एक साथ बैठकर पढ़ते हैं। यही नहीं, इस सेक्शन में पांच के बदले सिर्फ एक टीचर है। महत्वपूर्ण यह भी है कि वो टीचर भी अगले माह रिटायर हो रहे हैं। स्कूल भवन में कमरे नहीं हैं, इसलिए सामुदायिक केंद्र में स्कूल चल रहा है।
दौसा में राजवास के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल के हाल कुछ ऐसे ही हैं। अब स्थिति यह है कि अर्द्ध वार्षिक परीक्षा सिर पर हैं और तीन सब्जेक्ट के टीचर्स नहीं होने से उनका कोर्स पूरा नहीं हुआ है। स्टूडेंट परेशान हैं। स्कूल प्रबंधन ने ऐसे सब्जेक्ट पढ़ाने के लिए अन्य सब्जेक्ट के टीचर्स को वैकल्पिक तौर पर लगाया है। स्टूडेंट्स का कहना है कि यह उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
पढ़ा रहे अन्य सब्जेक्ट के टीचर
स्कूल की स्थिति यह है कि हायर क्लास को पढ़ाने के लिए यहां हिंदी, गणित और इंग्लिश के टीचर नहीं है। ऐसी स्थिति में स्कूल प्रबंधन की ओर से अन्य विषयों के टीचर्स को इन्हें पढ़ाने के लिए वैकल्पिक रूप से लगाया गया है। अब स्कूल के अन्य सब्जेक्ट के टीचर्स की क्लास भी प्रभावित हो रही हैं।
एक टीचर संभाल रहे 5 क्लास
स्कूल में कक्षा एक से पांच तक 105 स्टूडेंट्स हैं। सभी छात्र एक ही कमरे में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूल में इस प्राइमरी सेक्शन के लिए पांच पद हैं और पांच में से चार पर कोई टीचर नहीं है। यानी एक टीचर के भरोसे पांच क्लास। यही कारण है कि सभी बच्चों को एक साथ बैठाया जा रहा है। अब दिक्कत यह भी है कि यदि समय रहते अन्य टीचर्स की नियुक्ति नहीं की गई तो पूरा प्राइमरी सैक्शन अगले माह बिना टीचर के हो जाएगा। कारण है कि एकमात्र टीचर भी अगले माह यानी जनवरी 2022 में रिटायर हो रहे हैं।
टीचर नहीं तो कोचिंग कर रहे बच्चे
कोरोना के कारण दो साल से स्कूल बंद थे। ऐसे में इस सेशन में पढ़ाई तो शुरू हुई है, लेकिन टीचर नहीं होने से खुले जैसे नहीं खुले जैसी स्थिति बन गई। पेरेंट्स का कहना है कि स्कूल में टीचर नहीं हैं, बच्चों को पढ़ाना तो है ही, बेस खराब नहीं कर सकते। रिजल्ट डाउन जाएगा, इसलिए उन्होंने अपने बच्चों को प्राइवेट कोचिंग कराना शुरू कर दिया है। जो पेरेंट्स कोचिंग कराने में सक्षम नहीं हैं, उनको और भी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
उच्च स्तर पर सूचना, ध्यान नहीं
प्रधानाचार्य घनश्याम मीणा ने बताया कि स्कूल में 845 बच्चे हैं। नियमानुसार यहां 35 का स्टाफ होना चाहिए, लेकिन 24 पद ही स्वीकृत हैं उनमें से भी 8 पद रिक्त हैं। अनिवार्य हिन्दी, गणित व अंग्रेजी शिक्षक का पद रिक्त है। कई बार विभाग के अधिकारियों को लिखित एवं मौखिक रूप से बता दिया गया है। अभी तक समाधान नहीं हुआ है।
समायोजन में टीचर्स लगा देंगे
जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक घनश्याम मीणा का कहना है कि आठ-दस दिन बाद समायोजन होगा। उसमें अध्यापक लगा दिए जाएंगे।
रिपोर्ट: राजेश शर्मा, दुब्बी (धनावड़)
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