जयपुर जिले की फागी क्षेत्र के चौरू गांव में ठाकुरजी मंदिर से 1100 महिलाओं ने ध्वज पूजन कर धन्ना भगत के जयकारों के साथ 2 किलोमीटर लंबी कलश यात्रा निकाली। धन्ना भगत मंदिर में कृष्ण भक्त धन्ना भगत की 1 जून को होने वाले मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। यह हिंदू और सिख धर्म की आस्था का प्रमुख केंद्र है।
श्री श्री 1008 बजरंगदेवाचार्य महाराज के सानिध्य ओर संत शिवदास महाराज की देखरेख में कलश यात्रा,श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया गया। 11 कुंडीय महायज्ञ का गुरुवार को अग्नि प्रकट होने के बाद यज्ञ हवन कुंड में आहुतियां दिलवाई जाएगी। कलश यात्रा कार्यक्रम के दौरान जयपुर जिला प्रमुख रमा चौपड़ा, फागी प्रधान प्रेम देवी जाट,पूर्व सरपंच मांदी हरिराम चौधरी,स्थानीय जनप्रतिनिधि ओर हजारों की तादात में ग्रामीण मौजूद रहे।
1 जून को मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा में जुटेंगे सवा लाख लोग
धन्ना भगत सेवा समिति द्वारा 1 जून को धन्ना भगत की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन होगा। सेवा समिति के पदाधिकारियों के अनुसार देशभर के पंजाब, हरियाणा सहित अन्य राज्यो से सवा लाख लोगों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी। एक जून को पूर्ण आहुति के साथ ही मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न होगी।
यजमान ने 9 लाख 61 की बोली लगाई
धन्ना भगत मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में चौरू निवासी कैलाश भंवरिया ने 9 लाख 61 की सर्वाधिक राशि खर्च कर यजमान का सौभाग्य प्राप्त किया। यज्ञ के प्रधान कुंड में श्योजीराम मुवाल ने 5 लाख 31 हजार राशि दी गई। प्राण प्रतिष्ठा में 7 दिनों तक पूजा के लिए 1 लाख 22 हजार रुपए गोपाल मुवाल ने सहयोग किया।
धन्ना भगत की नाड़ी की पवित्र मिट्टी से होते हैं फसलों के रोग दूर
ग्रामीणों की मान्यताओं के अनुसार धन्ना भगत के मंदिर परिसर में स्थित नाड़ी बनी हुई है। जिसकी मिट्टी छिड़कने मात्र से ही खेतों में फसलों में लगने वाले रोग दूर होते हैं। किसान यहां पर प्रतिवर्ष मन्नत मांगने के लिए आते हैं। और भगवान धन्ना भगत की मिट्टी के अंश को अपने खेतों में डालते हैं।
इतिहासकारों का अलग अलग मत
धन्ना भगत (जन्म 1415 ई.) एक रहस्यवादी कवि और एक वैष्णव भक्त थे। जिनके तीन भजन आदि ग्रंथ में मौजूद हैं। धन्ना भगत कृष्ण भक्त थे। उनके जन्म स्थान को लेकर मत भेद है। कुछ मान्यताओं के अनुसार उनका जन्म स्थान राजस्थान के टोंक जिले में तहसील दूनी के पास धुवा गांव में हिन्दू धालीवाल जाट परिवार में हुआ था।
चौरू गांव में भी बताते हैं जन्म स्थल
एक अन्य श्रोत ठाकुर देशराज द्वारा रचित उपन्यास जाट इतिहास के अनुसार इनका जन्म स्थान राजस्थान के जयपुर में फागी तहसील का चौरू गांव है। इनका जन्म बैशाख बुदी 3 संवत 1472 (1415 ई.) को हरितवाल गोत्र के एक जाट परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम रामेश्वर जाट व माता का नाम गंगा बाई गड़वाल था। बचपन में ही इनके पिता चौरू को छोड़कर अभयनगर जाकर रहने लगे। जिसे वर्तमान मे धुंआकला के नाम से जाना जाता है।
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