अव्यवस्था:उल्टी-दस्त का प्रकोप, हर बेेड पर 3-4 मरीजों का उपचार

करौली2 वर्ष पहले
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  • बच्चों में उल्टी-दस्त की शिकायत बढ़ी, 21 बेड की क्षमता वाले शिशु वार्ड में एक दिन में भर्ती हो रहे 50 से 90 बच्चे

शहर के राजकीय उपजिला अस्पताल में इन दिनों मौसमी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में इजाफा होने से चिकित्सा प्रबंधन फेल होता नजर आ रहा है। जुलाई माह में पड़ रही तेज गर्मी के कारण लोग उल्टी-दस्त के साथ अन्य मौसमी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में अस्पताल में उपलब्ध बेड भी कम पड़ गए हैं। इस वर्ष शिशु मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। 21 बैड की क्षमता वाले शिशु वार्ड में हर दिन करीब 50 से 90 मरीज भर्ती हो रहे हैं। ऐसे में एक बैड पर तीन से चार बच्चों को उपचार देना पड़ रहा हैं। यही नहीं कई परिजन बच्चों को फर्श पर लेटाकर भी उपचार दिलाने के लिए विवश हैं, लेकिन चिकित्सा प्रबंधन का इस ओर कोई ध्यान नहीं हैं।

पिछले साल 14 दिन में भर्ती हुए थे 300 बच्चे, लेकिन इस वर्ष आंकड़ा पहुंचा 700 पर

वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण की रफ्तार फैलने के बाद जून-जुलाई में गिरावट कम होने पर मौसमी बीमारियों से पीड़ित मरीजों के भर्ती होने का सिलसिला अस्पताल में शुरु हो जाता है। राजकीय अस्पताल के चिकित्साकर्मियों के अनुसार वर्ष 2020 में एक जुलाई से 14 जुलाई तक शिशु वार्ड में भर्ती मरीजों की संख्या जहां करीब 300 थीं, लेकिन इस बार वर्ष 2021 में एक जुलाई से 14 जुलाई तक भर्ती का आंकड़ा करीब 700 के पार पहुंच गया हैं। इसका कारण दिनों दिन तापमान में बढ़ोत्तरी होना और साफ-सफाई पर ध्यान नहीं देना हैं। यही वजह है कि बच्चे उल्टी,दस्त, पीलिया से ग्रसित हो रहे हैं।

बिजली गुल होने पर मरीज होते हैं परेशान : कई बार घंटों बिजली गुल होने पर अस्पताल में उपलब्ध जनरेटर पूरे वार्डों में बिजली का लोड नहीं उठा पाता है। इस कारण मरीजों को गर्मी के इन दिनों में बिजली गुल होने पर पसीने से तर बतर होना पड़ता है।

मरीजों की सुविधाओं का रखा जाता है ध्यान : अस्पताल प्रभारी डॉ. नमोनारायण मीना का कहना रहा कि राजकीय अस्पताल में आने वाले मरीजों का पूरा ध्यान रखा जाता हैं। करौली व हिंडौन के अलावा शिशु रोग उपचार के लिए कहीं भी अस्पताल नहीं होने से टोडाभीम, नादौती, महवा, भुसावर,गाजीपुर तथा डांग क्षेत्र के लोग बीमार होने पर शिशु को यहां भर्ती कराते हैं। इसलिए संख्या में इजाफा रहता हैं। जबकि शिशु वार्ड में बैड मात्र 21 है।