सरकारी उदासीनता के कारण सरकारी स्कूलों की भूमि व मकान पर दबंगों ने कब्जा कर रखा है। इस कारण विद्यालय का भवन निर्माण, पठन-पाठन कार्य एवं आवागमन की गंभीर समस्या बनी हुई है। खुद को बेबस और लाचार मानकर शिक्षा विभाग भी सोया हुआ है। स्कूलों को अतिक्रमण मुक्त करने की बात सिर्फ फाइलों में की जाती है। इस मामले में कभी कोई कार्रवाई नहीं होती है। विद्यालय के शिक्षक पदाधिकारियों को आवेदन देकर थक जाते हैं लेकिन विद्यालय की भूमि अतिक्रमण मुक्त नहीं होती है।कहने को तो स्कूलों में सर्व शिक्षा अभियान का स्टाफ सतत निरीक्षण करता है। इसके अलावा अन्य अधिकारी भी स्कूलों का निरीक्षण करने पहुंचते हैं। यहां तक स्कूलों की जमीनों को भी नहीं बख्शा जा रहा है। स्कूल प्रबंधन खेल मैदानों व परिसर से अतिक्रमण हटाने की मांग कर रहा है, पर प्रशासन केवल आश्वासन देकर काम चला रहा है।
यह है मामला : सपोटरा उपखण्ड की ग्राम पंचायत काँचरोदा के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में दीवार के साथ बंधी गाय, भैंस व बछड़े। जगह-जगह लगे गोबर के ढेर। कोने में रखे ईंधन व कबाड़ । यह नजारा किसी डेयरी या फिर गौशाला का नहीं, बल्कि काँचरोदा कि उच्च माध्यमिक विद्यालय का है इन दिनों शिक्षा विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के कारण यह तवेला बना हुआ है
समझाने के बाद भी नहीं हटा रहे पशुओं को मेरे विद्यालय में ग्रामीणों द्वारा अतिक्रमण कर रखा है ईंधन रखा है औऱ भैंसे भी बांध रखी है पहले हटा लिया था। लेकिन कोरोना महामारी के चलते विद्यालय बन्द होने के कारण फिर से अतिक्रमण कर लिया था और अब मैने कई बार समझाया लेकिन अतिक्रमी अतिक्रमण हटाने को तैयार नही होते है।-शशिबाला मीना,प्रधानाचार्य, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय काँचरोदा ।
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