सरकार ने दवाइयाें के बाद सरकारी अस्पतालों में आनन-फानन में वाह-वाही लूटने के चक्कर में एक अप्रैल से आउटडोर-इनडोर में आने वाले मरीजों की महंगी से महंगी जांच फ्री तो कर दी, लेकिन अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में एमआरआई और सीटी स्कैन की मशीनें नहीं होने से मरीजों की परेशानी पहले की अपेक्षा बढ़ गई है।
सरकारी अस्पतालों से मरीजों को वेटिंग की लंबी सूची दिखा कर 5 दिन बाद का या देर रात का समय दे रहे हैं। इससे मरीज प्राइवेट अस्पतालों की तरफ रूख कर रहे हैं। एसएमएस की हालत यह है कि अप्रैल से जांच फ्री करने के साथ ही हर दिन सीटी स्कैन और एमआरआई के 50 से 60 मरीज बढ़ गए हैं, जबकि जांच मशीनों में बढ़ोतरी नहीं की है।
इस वजह से वेटिंग बढ़ने के साथ ही मरीजों काे जांचों के लिए पूरी रात भर इंतजार करना पड़ रहा है। अस्पताल में मार्च में प्रतिदिन 446 सीटी स्कैन हाे रही थी, अब बढ़कर 600 पहुंच गई है। वहीं एमआरआई पहले 468 हाे रही थी, अब अप्रैल से हर दिन 550 से अधिक हाे रही है।
मरीजों की संख्या बढ़ी है
एसएमएस एमआरआई-सीटी स्कैन मशीनों की स्थिति
एमआरआई
एसएमएस में 3 (बांगड़, इमरजेन्सी और सुपरस्पेशलिटी) में एमआरआई मशीनें लगी हुई हैं। तीनाें सेंटरों पर अधिकतम एक दिन में 480 एमआरआई हाे रही है, जबकि हर दिन एमआरआई के अस्पताल में 700 से अधिक मरीज आ रहे हैं। मशीनों की कमी की वजह से हर दिन 220 मरीजों काे प्राइवेट अस्पतालों का रूख करना पड़ रहा है।
सीटी-स्कैन
अस्पताल में 3 सिटी स्कैन मशीन लगी हुई है। रोज 582 लाेगाें की सीटी स्कैन हाे रही है। अस्पताल में 818 लाेग सीटी स्कैन के लिए पहुंच रहे हैं। लगभग 240 मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में पैसे देकर जांच करानी पड़ रही है।
1 साल की सीटी स्कैन में 6 कराेड़ की दाे मशीनें खरीद सकती है सरकार
एसएमएस में सीटी और एमआरआई पीपीपी माेड पर दे रखी है। सरकार कंपनी काे एक सीटी स्कैन के 500 रुपए दे रही हैं। हर दिन 3 मशीनों पर 600 सिटी स्कैन हाे रही है। 500 रुपए के हिसाब से हर दिन 600 मरीजों के 3 लाख रु. हाेते हैं। महीने में यह राशि 90 लाख हाेती है। एक साल में 11 कराेड़ हाेते हैं, जबकि सीटी स्कैन की सबसे महंगी मशीन 6 कराेड़ की आती है।
एमआरआई में 16 कराेड़ की दाे मशीनों का 1 साल में 45 कराेड़ का भुगतान
एमआरआई भी सरकार ने अस्पताल में पीपीपी माेड पर दे रखी है। हर दिन दाे मशीनों पर 550 एमआरआई हाे रही है। सरकार हर एमआरआई के लिए कंपनी काे 1500 रुपए का भुगतान करती है। एक दिन की यह राशि 7 लाख 50 हजार हाेती है। महीने की 2 कराेड़ 25 लाख और एक साल के करीब 45 कराेड़ हाेते हैं, जबकि एक मशीन 8 कराेड़ की आती है। इस राशि में ताे सरकार एक साल में 4-5 एमआरआई मशीन खरीद सकती हैं। इससे मरीजों काे सुविधा भी हाेगी और अस्पताल के लाेगाें काे राेजगार भी मिलेगा।
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